अवैध रेत खनन पर कार्रवाई न होने पर आंदोलन की चेतावनी

भिवंडी। भिवंडी क्षेत्र में खाड़ी से बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन का मामला गरमाता जा रहा है। डेजर और सक्शन पंप की मदद से हो रहे इस अवैध खनन पर राजस्व विभाग की उदासीनता के खिलाफ भिवंडी लोकसभा सांसद सुरेश म्हात्रे उर्फ बाल्या मामा ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने राजस्व विभाग को स्पष्ट चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही इन अवैध गतिविधियों पर रोक नहीं लगाई गई, तो स्थानीय भूमिपुत्र खुद इन मशीनों पर कार्रवाई करेंगे। मंगलवार को सांसद बाळ्या मामा ने तहसीलदार अभिजीत खोले से मुलाकात कर इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्होंने राजस्व विभाग की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि यह मामला स्थानीय लोगों के जीवन और पारंपरिक व्यवसाय से जुड़ा हुआ है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सांसद म्हात्रे ने कहा कि खाड़ी के किनारे बसे गांवों में कई वर्षों से डुबी के जरिए रेत खनन का परंपरागत व्यवसाय चल रहा था। लेकिन महाराष्ट्र मेरीटाइम बोर्ड द्वारा डुबी से रेत खनन पर रोक लगाकर डेजर और सक्शन पंप से खनन की अनुमति देने के कारण हजारों स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि इन नई मशीनों के जरिए बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन हो रहा है, जिससे न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि स्थानीय भूमिपुत्रों को भी उनकी आजीविका से वंचित किया जा रहा है।

सांसद बाल्या मामा ने कहा कि पिछले कई वर्षों से खाड़ी क्षेत्र में डेजर की मदद से अवैध रेत खनन हो रहा है, लेकिन राजस्व विभाग इस पर कार्रवाई करने में नाकाम रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस मामले पर जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो स्थानीय लोग खुद आंदोलन करेंगे और इन मशीनों पर कार्रवाई करेंगे। तहसीलदार अभिजीत खोले ने सांसद बाल्या मामा को आश्वासन दिया कि शुक्रवार को ठाणे जिलाधिकारी कार्यालय में इस मुद्दे पर विशेष बैठक आयोजित की जाएगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस बैठक में सभी संबंधित पक्षों के साथ चर्चा कर समाधान निकाला जाएगा। सांसद बाल्या मामा ने दो टूक कहा कि राजस्व विभाग को इस मामले में स्थानीय भूमिपुत्रों और रेत व्यवसायियों की समस्याओं को गंभीरता से लेना चाहिए। अगर जिलाधिकारी की बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो स्थानीय लोगों के साथ मिलकर डेजर और सक्शन पंपों पर कार्रवाई की जाएगी। यह मामला न केवल स्थानीय पारंपरिक व्यवसायों के अस्तित्व से जुड़ा है, बल्कि प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़ा करता है। अब सबकी नजरें शुक्रवार को होने वाली जिलाधिकारी की बैठक पर टिकी हैं।

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