
रेलवे द्वारा घर तोड़े जाने के बाद मुआवजा न मिलने से परिवार परेशान
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jan 17, 2025
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भिवंडी। वसई-दिवा रेलवे लाइन के डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर प्रोजेक्ट के तहत तीसरी और चौथी लाइन के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन पर पिछले 25 वर्षों से रह रहे एक किसान का घर तोड़ दिया गया। लेकिन इस घटना को लगभग दो साल बीत चुके हैं और अभी तक प्रभावित परिवार को घर के नुकसान का मुआवजा नहीं मिला है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, भिवंडी नगरपालिका से सटे डोंगराली के पिंपलास ग्राम पंचायत क्षेत्र में वन विभाग की जमीन पर दिवंगत द्वारकानाथ गायकवाड़ का घर और मवेशियों का तबेला था। इस जमीन को 1972 में रेलवे प्रशासन के नाम स्थानांतरित कर दिया गया था। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर रेलवे लाइन के काम के दौरान गायकवाड़ का घर तोड़ दिया गया। लेकिन इस नुकसान का मुआवजा अभी तक रेलवे प्रशासन ने परिवार को नहीं दिया। इस घटना से मानसिक आघात के कारण द्वारकानाथ गायकवाड़ का निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनकी पत्नी और बेटा जयराम गायकवाड़ खुले आसमान के नीचे जीवन यापन करने को मजबूर हैं।
जयराम गायकवाड़ ने बताया कि उन्होंने तहसीलदार, उपविभागीय अधिकारी, स्थानीय पुलिस और रेलवे प्रशासन से कई बार मुआवजे के लिए आवेदन किया। रेलवे पुनर्वास विभाग ने उन्हें 14 लाख 17 हजार रुपये मुआवजा स्वीकृत किए जाने की बात कही है, लेकिन यह राशि अभी तक उनके हाथों में नहीं दी गई है। जयराम गायकवाड़ का कहना है कि उनके साथ हो रहे अन्याय को प्रशासन नजरअंदाज कर रहा है। उन्होंने मांग की है कि जल्द से जल्द उनके परिवार को न्याय और मुआवजा दिया जाए ताकि वे अपना जीवन सामान्य तरीके से जी सकें।
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