भिवंडी में ‘यूट्यूबर पत्रकारों’ का दबदबा ?

पुलिस संरक्षण के आरोप तेज; आगामी मनपा चुनाव से पहले बढ़ी हलचल !


भिवंडी। भिवंडी शहर में स्वयंभू यूट्यूबर पत्रकारों का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। पिछले एक वर्ष में ऐसे लगभग 250 से अधिक कंटेंट क्रिएटर्स सक्रिय बताए जाते हैं, जो कैमरा और माइक्रोफोन लेकर शहर भर में घूमते दिखाई देते हैं। इनमें से अधिकांश किसी भी मान्यता प्राप्त मीडिया संगठन से जुड़े नहीं हैं, लेकिन ‘प्रेस’ का टैग लगाकर पुलिस तथा प्रशासनिक कार्यक्रमों में खुलेआम प्रवेश पा रहे हैं।

स्थानीय नागरिकों और पत्रकार संगठनों का आरोप है कि पुलिस इन यूट्यूबरों को न केवल रोकने में असमर्थ है, बल्कि कई मौकों पर उन्हें विशेष सुविधा भी देती दिखती है। कहा जा रहा है कि कई प्रशासनिक बैठकों, आयोजनों और प्रेस कॉन्फ्रेंस में इन्हें वीआईपी जैसी प्राथमिकता दी जाती है। इससे न केवल अनुभवी पत्रकारों का कार्य प्रभावित होता है, बल्कि शहर में बिना तथ्य-जांच वाली खबरों और सनसनीखेज वीडियो का चलन भी बढ़ा है।

वरिष्ठ पत्रकारों का कहना है कि इन स्वयंभू रिपोर्टरों के पास न पत्रकारिता का प्रशिक्षण है, न सूचना की सत्यता की जिम्मेदारी का एहसास। इसके बावजूद पुलिस की अनदेखी ने इनके हौसले बढ़ा दिए हैं। कई मामलों में देखा गया है कि यूट्यूबर प्रशासनिक कमरे तक पहुंच जाते हैं और अधिकारियों से अनाधिकारिक बातचीत को भी ‘ब्रेकिंग न्यूज’ बनाकर प्रसारित करते हैं।

स्थानीय सामाजिक संगठनों की चिंता यह है कि इस माहौल का सीधा असर आगामी भिवंडी-मनपा चुनावों पर भी पड़ सकता है। चुनावी तैयारियां शुरू होते ही ये यूट्यूबर विभिन्न राजनीतिक नेताओं के पक्ष में प्रचार जैसा कंटेंट बनाने लगे हैं। कुछ नागरिकों का कहना है कि बिना किसी नियमन के ऐसे प्लेटफॉर्म चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकते हैं, क्योंकि इनके वीडियो तथ्यों से अधिक राजनीतिक झुकाव दिखाने लगे हैं।

   नागरिकों और पत्रकार संघों ने मांग की है कि मनपा चुनाव से पहले प्रशासन और पुलिस स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करे—कौन कार्यक्रमों को कवर कर सकता है, किसे अनुमति मिलेगी और सोशल मीडिया आधारित रिपोर्टिंग की सीमाएं क्या होंगी। उनका कहना है कि अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और शहर की सूचना व्यवस्था दोनों प्रभावित हो सकती हैं। भिवंडी के जागरूक नागरिक अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन इस बढ़ती अराजक मीडिया संस्कृति पर अंकुश लगाए और असली तथा नकली पत्रकारिता के बीच की रेखा स्पष्ट करे।

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट