समाज में कुष्ठरोग के प्रति जागरूकता और उपचार हेतु महत्वपूर्ण पहल

भिवंडी। केंद्र सरकार द्वारा कुष्ठरोग उन्मूलन के लिए "कुष्ठरुग्ण खोज अभियान" शुरू किया गया है, जिसके तहत समाज में मौजूद प्रत्येक संभावित कुष्ठरोगी की पहचान कर, उनका सही समय पर निदान किया जाएगा। इस अभियान का उद्देश्य पुष्टि किए गए कुष्ठरुग्णों को तुरंत बहुविध औषधोपचार प्रदान करना है। यह अभियान 31 जनवरी से 15 फरवरी 2025 तक कुल 14 दिनों तक चलेगा। यह अभियान विशेष रूप से उन क्षेत्रों में चलाया जाएगा जहां कुष्ठरोग के मरीजों की संख्या अधिक है, साथ ही विकृति 2 स्तर के कुष्ठरुग्णों की संख्या भी ज्यादा है। भिवंडी निजामपूर शहर महानगरपालिका के कार्यक्षेत्र में आने वाले जोखिमग्रस्त क्षेत्रों में इस अभियान के तहत हर घर के सदस्यों की आशा कार्यकर्ता और पुरुष स्वयंसेवकों के माध्यम से चिकित्सा जांच की जाएगी।भिवंडी मनपा प्रशासन ने नागरिकों से इस अभियान में सहयोग करने की अपील की है। इस अभियान के संचालन का दायित्व  अजय वैद्य (प्रशासक तथा आयुक्त), डॉ. संदीप गाडेकर (मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी), और डॉ. बुशरा सैयद (शहर क्षय रोग चिकित्सा अधिकारी) द्वारा लिया गया है। 30 जनवरी 2025, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के अवसर पर, राष्ट्रीय कुष्ठरोग उन्मूलन कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इनमें शामिल होंगे।रन फॉर लेप्रसी" मैराथन,कुष्ठरोग जागरूकता रैली,त्वचा रोग चिकित्सा शिविर,निबंध प्रतियोगिता,महिला मंडल सभा,विकृति परीक्षण शिविर,निजी चिकित्सकों के लिए सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम होगें।इन कार्यक्रमों का उद्देश्य कुष्ठरोग से संबंधित समाज में फैले भ्रम और गलतफहमियों को दूर करना और रोगियों को सामाजिक स्वीकृति दिलाना है।

कुष्ठरोग एक संक्रामक बीमारी है, जो मंद गति से विकसित होती है। इसके लक्षण प्रकट होने में 3 से 10 वर्ष तक का समय लग सकता है। इसके मुख्य लक्षण इस प्रकार हैं:

✔ त्वचा पर लाल या सफेद चकत्ते, जो न दर्द देते हैं, न ही खुजली करते हैं।

✔ शरीर पर गांठें विकसित होना।

✔ कानों की लव बढ़ जाना।

✔ चेहरे की त्वचा अत्यधिक तैलीय हो जाना।

अगर समय पर सही इलाज किया जाए, तो कुष्ठरोग पूरी तरह से ठीक हो सकता है। समाज को चाहिए कि वे इस बीमारी को लेकर फैली भ्रांतियों को दूर करें और कुष्ठरोगियों के साथ भेदभाव न करें।

घोषवाक्य:

"कुष्ठरोग के प्रति जनजागरूकता बढ़ाएं, इससे जुड़े भ्रम को दूर करें और यह सुनिश्चित करें कि कोई भी कुष्ठरोगी इलाज से वंचित न रहे।"

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