भिवंडी में श्रमजीवी संगठन का अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी, वन विभाग की लापरवाही पर आक्रोश

भिवंडी । भिवंडी ग्रामीण सहित पूरे ठाणे जिले के हजारों आदिवासी समाज के दावे लंबित पड़े हैं, जिनके विरोध में श्रमजीवी संगठन ने भिवंडी उपविभागीय अधिकारी कार्यालय के सामने सोमवार से निर्णायक आंदोलन शुरू किया है। संगठन के महासचिव बालाराम भोइर और जिला अध्यक्ष अशोक सापटे के नेतृत्व में चल रहे इस आंदोलन में सैकड़ों आदिवासी पुरुष और महिलाएं अपने घर-गृहस्थी का सामान लेकर शामिल हुए हैं.आंदोलन का आज तीसरा दिन है, और प्रदर्शनकारी गाने गाकर अपना विरोध जता रहे हैं। इस दौरान शहापुर और भिवंडी तहसीलदार कार्यालयों के कर्मचारी मौके पर मौजूद रहकर दावेदारों के दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं। भिवंडी उपविभागीय कार्यालय के अनुसार, भिवंडी तालुका में 372 पुराने और 668 नए, कुल 1040 दावे लंबित हैं। वहीं, शहापुर तालुका में 485 पुराने और 391 नए, कुल 876 दावे अभी तक लंबित हैं। इस तरह, पूरे उपविभागीय क्षेत्र में कुल 1916 दावे पेंडिंग हैं। इनमें से भिवंडी उपविभागीय अधिकारी कार्यालय में 857 पुराने और शहापुर के 307 दावों की जांच जारी है, जबकि 668 दावे वन विभाग की मंजूरी के इंतजार में हैं। श्रमजीवी संगठन का आरोप है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद वन विभाग ने अपने स्तर पर दावों को मंजूरी देने में लापरवाही बरती है। 22 दिसंबर को हुई बैठक में उपविभागीय अधिकारी ने वन विभाग को तुरंत लंबित दावे भेजने के निर्देश दिए थे, लेकिन विभाग की निष्क्रियता के कारण आंदोलन की नौबत आई। बुधवार को श्रमजीवी संगठन के कार्यकर्ताओं ने वन विभाग कार्यालय में जाकर दबाव बनाया, जिसके बाद महज दो घंटे के भीतर सभी 668 लंबित दावे उपविभागीय अधिकारी कार्यालय को भेज दिए गए। हालांकि, यदि वन विभाग ने इन दावों को अस्वीकार किया, तो संगठन और उग्र आंदोलन करेगा। जिला अध्यक्ष अशोक सापटे ने चेतावनी दी है कि अगला आंदोलन वन विभाग कार्यालय के खिलाफ होगा।

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