भिवंडी में साइजिंग और डाइंग कंपनियों से निकल रहे जहरीले धुएं से बढ़ा वायु प्रदूषण पर्यावरण संकट गहराया

भिवंडी। शहर और ग्रामीण इलाकों में साइजिंग और डाइंग कंपनियों द्वारा वायु प्रदूषण का गंभीर खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। इन कंपनियों में लकड़ी, रबर, प्लास्टिक, पुठ्ठा, कागज और पुरानी इमारतों से निकली लकड़ी जैसे हानिकारक कचरे को जलाने का खेल धड़ल्ले से जारी है। इस अवैध काम को अंजाम देने के लिए एक संगठित गिरोह सक्रिय है, जिसका मुखिया सुनील ठाकुर बताया जाता है। जो कंपनियों को यह जहरीला बेस्ट सप्लाई करता है।

सूत्रों के मुताबिक, इस गोरखधंधे में महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) के कल्याण विभाग के अधिकारी सौजन्या पाटिल भी संलिप्त बताए जा रहे है। आरोप है कि ये अधिकारी कंपनी मालिकों से सांठगांठ कर शहर की हवा को जहरीला बना रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह गिरोह न केवल कंपनियों को अवैध ईंधन की आपूर्ति करता है, बल्कि अधिकारियों के लिए एजेंट के रूप में भी काम करता है, जिससे इस गैरकानूनी गतिविधि पर कोई कार्रवाई नहीं होती।

भाजपा भिवंडी पश्चिम के विधायक महेश चौघुले ने इस गंभीर मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री और पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर एमपीसीबी के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, जिससे इस पर्यावरणीय संकट का समाधान अधर में लटक गया है। इस लापरवाही का नतीजा यह है कि भिवंडी की हवा में लगातार जहर घुलता जा रहा है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों की बीमारियां और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। अगर जल्द ही इस मुद्दे पर कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो भिवंडी एक बड़े पर्यावरणीय आपदा का केंद्र बन सकता है।

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