12 सेकेंड की पत्रकारिता का दौर ?

भिवंडी में “भैंस नहाई पानी में” बना ब्रेकिंग न्यूज

शहर की समस्याएं गायब, मुद्दे हुए मूक

भिवंडी । भिवंडी जैसे औद्योगिक शहर में अब पत्रकारिता का स्तर गिरकर 12 सेकेंड तक सिमट गया है। खबरों का चेहरा, मुद्दों की आत्मा और जनता की आवाज़ अब सिर्फ कैमरे के फ्रेम तक रह गई है — और वो भी केवल 12 सेकेंड के वीडियो क्लिप में। आज अगर भैंस पानी में नहा रही हो, तो वह “टॉप 100” ब्रेकिंग न्यूज में शामिल हो सकती है, लेकिन यदि भिवंडी में गटर उफन रहा हो, सड़कों पर गड्ढे हों, बिजली-पानी की किल्लत हो, या बेरोजगारी चरम पर हो — तो उस पर कोई कैमरा नहीं घूमता।

सोशल मीडिया बना ढोंगी पत्रकारों का अखाड़ा :::

सोशल मीडिया पर कुछ स्वयंभू पत्रकार ऐसे एक्टिव हैं कि एक वायरल वीडियो को “संडे एक्सक्लूसिव” बनाकर पेश करते हैं। मुद्दों की गहराई, प्रशासन से सवाल और जनता की लड़ाई — ये सब अब पुराने जमाने की बातें हो गई हैं। पत्रकारिता अब वायरल वीडियो और दिखावे की दौड़ में बदल गई है।अब सवाल नहीं, सिर्फ सेल्फी और स्टाइल

भिवंडी की जनता त्रस्त है — लेकिन कैमरे में कैद होती है सिर्फ “किसने क्या पहना” और “कौन किसके साथ दिखा।” जनहित की खबरों की जगह अब नेताओं के बयान और उनकी फोटोशूट न्यूज़ बन गई है। शहर में नेता कुछ बोले और अगले ही पल वो “बाइट” न्यूज़ बन जाए, यही अब पत्रकारिता का पैमाना बन गया है।

शहर में अब निष्पक्ष पत्रकारिता की जगह गुटबाजी, दिखावा और निजी हित हावी हो चुके हैं। निष्पक्षता, ईमानदारी और जमीनी सवालों से दूर भागती यह पत्रकारिता अब व्यक्ति-पूजा और झूठी वाहवाही में तब्दील हो चुकी है।

जनता पूछ रही है --------

"क्या सिर्फ 12 सेकेंड की वीडियो से पूरे शहर की तस्वीर दिखाई जा सकती है ?”

“क्या पत्रकार अब मुद्दों पर सवाल करने के बजाय वायरल बनने की होड़ में हैं ?”

भिवंडी में पत्रकारिता की यह गिरती साख क्या आने वाले कल का संकेत है या फिर यह सिर्फ एक और 12 सेकेंड की कहानी है?

                        "महेन्द्र सरोज गुडडू"

रिपोर्टर

संबंधित पोस्ट