
भिवंडी शहर की सड़कों पर 'मौत' बिछी है-- मलबा और पत्थरों ने छीनी राहगीरों की सुरक्षा, प्रशासन चुप
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Apr 21, 2025
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भिवंडी। भिवंडी की सड़कों पर लावारिस मलबा, ईंटों के टुकड़े और खुदाई से निकला कचरा रोज़ाना हादसों को दावत दे रहा है। यह दृश्य किसी उपेक्षित कस्बे का नहीं, बल्कि एक ऐसे शहर का है, जहाँ करोड़ों की योजनाएं चल रही हैं और प्रशासनिक अमला पूरी तरह मुस्तैद होने का दावा करता है। मगर ज़मीनी हकीकत इससे एकदम उलट है।
पालिका के बांधकाम विभाग के पास डंपर तो हैं, पर उन्हें चलाने वाले 'रोड कामगार' अब कार्यालयों में बाबूगिरी कर रहे हैं। जो ज़िम्मेदारी सड़कों को साफ रखने की थी, वो सिर्फ झाडू तक सीमित हो चुकी है। मलबा हटाने का काम कोई नहीं करता। नतीजा? हर चौराहे, गली और मुख्य मार्ग पर राहगीरों के लिए 'जाल' बिछा है।
इन दिनों शहरभर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम जोरों पर है। इसके लिए सड़कों के किनारे पाइपलाइन डाली जा रही है। लेकिन जिस सड़क की खुदाई हो रही है, वही मलबा छोड़ दिया जा रहा है। इससे पहले जब केबल कंपनियों ने खुदाई की थी, तब भी निकला हुआ मलबा सड़क किनारे आज तक जस का तस पड़ा है।
पूर्व आयुक्त डॉ.पंकज आशिया और डॉ. योगेश म्हासे के कार्यकाल में सड़क किनारे की धूल और गंदगी हटाने के लिए विशेष स्वच्छता अभियान चलाया गया था। लोगों ने राहत की सांस ली थी। अब एक बार फिर आईएएस अधिकारी अनमोल सागर के रूप में एक सक्षम प्रशासक को जिम्मेदारी मिली है, मगर शुरुआत में ही उनकी सक्रियता सवालों के घेरे में है।
प्रत्येक प्रभाग समिति में एक अभियंता तैनात होता है, मगर हालात बता रहे हैं कि उन्होंने आंखों पर पट्टी बांध रखी है। सूत्र बताते हैं कि एक ही अभियंता को जल आपूर्ति और निर्माण विभाग दोनों की जिम्मेदारी सौंप दी गई है, जिससे कार्य गुणवत्ता रसातल में पहुंच गई है।
शहरवासियों का यह भी आरोप है कि सड़क मरम्मत में डामर की जगह काले ऑयल का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो थोड़ी बारिश में ही बह जाता है और सड़क फिर पुराने हाल में आ जाती है। करोड़ों के बजट के बावजूद अगर नतीजा यही होना है, तो सवाल सिर्फ लापरवाही का नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की गूंज का है। क्या आयुक्त अनमोल सागर साहब 'साहेब' बन चुके रोड़ कामगारों को फिर से सड़क पर उतारेंगे ? क्या सड़कों से मलबा और ईंटें हटेंगी या हादसे ही शहर की नियति बन जाएंगे ?
शहर के जागरूक नागरिक अब चुप नहीं है,निगाहें अब सिर्फ़ कार्रवाई पर हैं।
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