भिवंडी के राई पाड़ा में भीषण जल संकट। महिलाएं हर दिन तय कर रहीं है 3 किलोमीटर का प्यासा सफर

भिवंडी। एक तरफ देशभर में "हर घर जल" की गूंज है, दूसरी ओर भिवंडी तालुका के राई पाड़ा की महिलाएं एक-एक बूंद पानी के लिए तड़प रही हैं। हालत यह है कि प्यास बुझाने के लिए महिलाओं को रोज़ाना 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता है। सिर पर हांडे और कलशा, साथ में छोटे-छोटे बच्चे — ये नज़ारा 21वीं सदी के भारत की वो तस्वीर है, जिसे देखना किसी को अच्छा नहीं लगेगा। गांव की दोनों कुएं पूरी तरह सूख चुके है।तालाब का गंदा, सड़ता पानी ही इनका सहारा है। दो साल पहले यहां एक नई कुएं खोदने का काम शुरू हुआ था, लेकिन वो अब तक अधूरा पड़ा है। नतीजा महिलाएं तालाब के किनारे से जमीन के रिसाव से बूंद-बूंद पानी इकट्ठा कर रही हैं। प्लास्टिक की बोतलें, पलस के पत्ते और घंटों की मशक्कत के बाद मिलता है सिर्फ कुछ लीटर पानी। सबसे खौफनाक पहलू यह है कि पानी भरने के लिए महिलाओं को 40 फीट नीचे उतरना पड़ता है और फिर उसी रास्ते से सिर पर भरे हुए बर्तन लेकर 40 फीट ऊपर चढ़ना होता है। बुज़ुर्ग महिलाएं, यहां तक कि गर्भवती महिलाएं भी इसी दर्दनाक यात्रा का हिस्सा है। स्थानीय महिलाओं का कहना है कि उन्होंने कई बार प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन किसी ने भी इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया। "सरकारी योजना सिर्फ कागजों तक सीमित है। हमें आज भी पीने के साफ पानी के लिए लड़ना पड़ रहा है," एक महिला ने गुस्से और मायूसी के साथ बताया। यह कहानी सिर्फ राई पाड़ा की नहीं, बल्कि उन सभी गांवों की है जहां आज भी बुनियादी सुविधाएं एक सपना बनी हुई हैं। सवाल ये है कि कब जागेगा सिस्टम।

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