भिवंडी पालिका पर ताले की चोट ! अनमोल सागर की कार्यशैली कटघरे में

भ्रष्टाचार, लापरवाही और मनमानी से नाराज़ जनता ने जताया विरोध


भिवंडी। भिवंडी-निजामपुरा महानगर पालिका में गुरुवार को इतिहास रच गया — लेकिन गर्व से नहीं, बल्कि शर्म से। पहली बार नगर पालिका के मुख्यालय गेट पर जनता ने ताला जड़ा। यह दृश्य उस गहरी नाराज़गी का प्रतीक था, जो लगातार बढ़ती टैक्स दरों, प्रशासनिक लापरवाही और जनहित की अनदेखी के खिलाफ वर्षों से पल रही थी। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और पालिका प्रशासन, विशेषकर आयुक्त अनमोल सागर की कार्यशैली पर तीखा हमला बोला। फरवरी 2025 में जब अनमोल सागर को आयुक्त और प्रशासक के रूप में नियुक्त किया गया, तब लोगों को उम्मीद थी कि अब पालिका की सूरत बदलेगी। भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, अधिकारियों की नियुक्ति में योग्यता और वरिष्ठता का ध्यान रखा जाएगा, और आम जनता को राहत मिलेगी। लेकिन मात्र पाँच महीनों में ही ये उम्मीदें धराशायी होती दिखीं। शहर में ना तो आधारभूत सुविधाओं में सुधार हुआ, ना ही प्रशासनिक पारदर्शिता नजर आई। उलटे करों में बढ़ोतरी और जन समस्याओं की अनदेखी ने जनता को सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया।

कांग्रेस के भिवंडी शहर अध्यक्ष एडवोकेट रशीद ताहिर मोमिन ने कहा: "हमने कई बार ज्ञापन दिए, मांगें रखीं, मगर आयुक्त ने एक बार भी सुनवाई नहीं की। टैक्स लगातार बढ़ाए जा रहे हैं, जबकि सड़कों की हालत खस्ताहाल है, कचरा प्रबंधन ठप है और पानी की किल्लत चरम पर है। यह ताला सिर्फ गेट पर नहीं, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता पर भी जड़ा गया है।"

सायरा शेख, जैतून पुरा निवासी, बताती हैं: "हर साल टैक्स बढ़ता है, लेकिन पानी हफ्ते में सिर्फ दो दिन आता है। गटर उफनते हैं, सफाईकर्मी महीने में एक बार दिखते हैं। हमने अब चुप रहना छोड़ दिया है।"

कर्मचारी युनियन के सदस्य ने बताया कि  "अब यहां योग्यता कोई मायने नहीं रखती। जिनके पास विभागीय अनुभव नहीं है, उन्हें उच्च पद दे दिए जाते हैं। इससे कामकाज पूरी तरह चरमरा गया है। कई कर्मचारी तो सिर्फ ‘धंधा’ करने आते हैं, सेवा भावना का नामो-निशान नहीं।"

गौरतलब है कि भिवंडी-निजामपुरा नगर पालिका को 16 दिसंबर 2001 को महानगर पालिका का दर्जा मिला था। इससे पहले यह नगर परिषद के रूप में 1964 से कार्यरत थी। बीते दो दशकों में पालिका ने कई हादसे देखे हैं — 2016-17 में डॉ. योगेश म्हासे और 2019-20 में डॉ. पंकज आशिया के कार्यकाल के दौरान बहुमंजिला इमारतें गिरीं, लोगों की जानें गईं, लेकिन कोई ठोस सुधार नहीं हुआ।

अब एक बार फिर इतिहास खुद को दोहरा रहा है। नई नेतृत्व शैली की बात कहकर लाए गए आईएएस अधिकारी भी जनता के विश्वास पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं।

गेट पर ताला लगाना सिर्फ एक प्रतीक है — यह भिवंडी की जनता के टूटते भरोसे का संकेत है। सवाल यह है कि क्या अनमोल सागर इस चुनौती को अवसर में बदल पाएंगे? क्या वे जनता के साथ संवाद स्थापित कर पालिका को पटरी पर ला पाएंगे? या फिर उनका नाम भी उनके पूर्ववर्तियों की तरह एक "अधूरा प्रयास" बनकर रह जाएगा।

रिपोर्टर

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