सासाराम जेल से बाहर निकलेंगे हुनरमंद कैदी, शुरू करेंगे मछली पालन का व्यवसाय
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Jul 22, 2025
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रोहतास।सजा से शिक्षा, और अब शिक्षा से स्वरोजगार की ओर बढ़ते क़दम; आत्मनिर्भरता की दिशा में जेल प्रशासन का अनोखा प्रयोग !
बंदियों के जीवन में एक नया मोड़ लाने की दिशा में सासाराम स्थित मण्डल कारा ने एक अनोखी पहल की है। यहां दस दिवसीय मत्स्य पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरुआत हुई है, जिसका उद्देश्य है कैदियों को सिर्फ दंड नहीं, बल्कि भविष्य के लिए हुनर देना।
इस अभिनव प्रयास का उद्घाटन जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय ने किया। उन्होंने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि
“हम चाहते हैं कि जब बंदी जेल से बाहर निकलें, तो उनके पास न केवल स्वतंत्रता हो, बल्कि एक नई पहचान बनाने की योग्यता भी हो।”
प्रशिक्षण की जिम्मेदारी मछली पालन विशेषज्ञ तालिब खान को दी गई है। उन्होंने कैदियों को मछली पालन के हर पहलू जैसे तालाब की खुदाई, मिट्टी की जांच, मछली की नस्लों की पहचान, पोषण, औषधि प्रबंधन और व्यवसायिक रणनीति के बारे में विस्तार से बताया।
इस कार्यक्रम की एक खास बात यह रही कि इसे केवल ज्ञान तक सीमित न रखकर बैंकिंग सहयोग से भी जोड़ा गया है, ताकि यह केवल सिखाने का माध्यम न रहे, बल्कि स्वरोजगार की ठोस नींव बन सके।
पीएनबी आरसेटी के प्रतिनिधि विकास कुमार और प्रशिक्षण समन्वयक एजाज अहमद ने कैदियों को स्वरोजगार योजनाएं, बैंक ऋण प्रक्रिया और स्टार्टअप सहायता की जानकारी दी। उनका मानना है कि
“जेल से बाहर निकलने के बाद यदि बंदियों के पास एक व्यवसायिक योजना और वित्तीय समझ हो, तो अपराध की पुनरावृत्ति रोकी जा सकती है।
यह पहल केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सुधार की संस्कृति को आकार देने का प्रयास है। सासाराम मंडल कारा में कुल 35 बंदियों को इस प्रशिक्षण में शामिल किया गया है। प्रशिक्षण के दौरान जेल उपाधीक्षक कृष्ण कुमार झा, सहायक अधीक्षक सुरेश प्रसाद, रंजन कुमार, नंद मोहन सिंह, रागिनी कुमारी, लिपिक सरविंद ठाकुर, राजेश वर्मा, गुड्डू गिरि और सुकेश कुमार की सक्रिय भूमिका उल्लेखनीय रही।
इस कार्यक्रम ने साबित कर दिया कि सुधार की राह जेल की दीवारों के भीतर से भी निकल सकती है। शायद आने वाले कल में इन्हीं में से कोई बंदी मत्स्य व्यवसाय का सफल उद्यमी बन जाए और यही इस पहल की असली सफलता होगी। सासाराम मंडल कारा अब सिर्फ जेल नहीं, बल्कि परिवर्तन की प्रयोगशाला बन चुकी है ।


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