
सासाराम मंडल कारा बना बिहार का पहला एरेटर युक्त जेल
- सुनील कुमार, जिला ब्यूरो चीफ रोहतास
- Aug 07, 2025
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रोहतास।जेल में सांस लेती मछलियाँ, सासाराम जेल का मॉडल बना उदाहरण ! बिहार की जेलों में पहली बार स्वच्छ जल और तकनीक की साझेदारी
मंडल कारा सासाराम ने जेल परिसर में स्थित तालाब में मत्स्य पालन को नया जीवन देने के लिए एक तकनीकी पहल की है। यह बिहार की पहली जेल बन गई है, जहां तालाब में ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए एरेटर स्थापित किया गया है — एक ऐसा उपकरण जो जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाकर मछलियों और अन्य जलीय जीवों के लिए बेहतर वातावरण तैयार करता है।
जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय के अनुसार, पूर्व में तालाब में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों की मृत्यु तक हो जाती थी। अब एरेटर की मदद से जल में पर्याप्त ऑक्सीजन उपलब्ध रहेगी, जिससे मछलियों की वृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होगा। उन्होंने कहा, “यह केवल एक तकनीकी उपाय नहीं है, बल्कि जेल सुधार और आत्मनिर्भरता की दिशा में उठाया गया एक बड़ा कदम है।
एरेटर एक यांत्रिक उपकरण है जो पानी को हवा के संपर्क में लाकर उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है। इसका उपयोग विशेष रूप से मत्स्य पालन में होता है, जहां मछलियों को जीवित रहने के लिए स्वच्छ और ऑक्सीजन युक्त जल की आवश्यकता होती है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी सत्येंद्र राम ने उद्घाटन समारोह के दौरान बताया, “एरेटर जल की गुणवत्ता सुधारता है, मछलियों की वृद्धि को गति देता है और तालाब के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को स्वस्थ बनाता है।”
इस पहल से न केवल वैज्ञानिक तरीके से मछली पालन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि जेल में बंद कैदियों को मत्स्य पालन का व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया जा सकेगा। इससे उनके लिए आजीविका के नए रास्ते खुल सकते हैं, जो जेल से बाहर आने के बाद उनके पुनर्वास में सहायक होगा।
इस योजना को बिहार की अन्य जेलों में भी अपनाए जाने की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। मत्स्य विभाग और जेल प्रशासन के इस संयुक्त प्रयास से यह मॉडल एक सुधारात्मक एवं उत्पादक जेल प्रणाली की ओर संकेत करता है।
एरेटर का उद्घाटन जेल अधीक्षक सुजीत कुमार राय और जिला मत्स्य पदाधिकारी सत्येंद्र राम ने संयुक्त रूप से किया। इस अवसर पर उपाधीक्षक केके झा, सहायक अधीक्षक सुरेश प्रसाद, नंद मोहन, रंजन कुमार, सिकेश कुमार, गुड्डू गिरी समेत कई अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
सासाराम मंडल कारा की यह पहल दर्शाती है कि जेल सुधार केवल मानव व्यवहार तक सीमित नहीं है अब यह वैज्ञानिक तकनीकों और आत्मनिर्भरता की दिशा में भी कदम बढ़ा चुका है। यह पहल न केवल मछलियों को जीवन देगी, बल्कि कैदियों को भी भविष्य का रास्ता दिखाएगी।
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