बहुत ही श्रद्धा भक्ति से मनाई गई अक्षय नवमी

कैमूर-- जिला में सनातन धर्म अनुयायियों के द्वारा बड़े ही श्रद्धा भक्ति से मनाई गई अक्षय नवमी (आंवला नवमी) भगवान विष्णु सहित आंवले की वृक्ष का पूजन कर किया गया प्रसाद वितरण।

कब और क्यों मनाई जाती है अक्षय नवमी, जानिए इस दिन का महत्व--

हर साल कार्तिक मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाता है। सनातन धर्म में यह दिन विशेष महत्व रखता है। इस दिन पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की भी पूजा-अर्चना की जाती है। इसी कारण से इस दिन को आंवला नवमी के रूप में भी मनाया जाता है।माना गया है कि अक्षय नवमी पर किए गए शुभ कार्यों से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से पूर्णिमा तक आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। साथ ही इस दिन पर आंवले का सेवन करना और आंवले के पेड़ के नीचे भोजन बनाकर खाने व ब्राह्मणों को भोजन कराने से साधक व उसके परिवार को अच्छी सेहत का आशीर्वाद भी मिलता है।अक्षय नवमी का महत्त्व 'अक्षय' का अर्थ होता है अमर या जिसका कभी क्षय न हो। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पर किए गए दान-पुण्य से प्राप्त होने वाला फल कभी नष्ट या कम नहीं होता। ऐसा माना गया है कि अक्षय नवमी से ही सत्य युग की शुरुआत हुई थी। इसलिए अक्षय नवमी के दिन को सत्य युगादि भी कहा जाता है। साथ ही कुछ अन्य मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी के दिन ही भगवान श्रीकृष्ण ने अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए वृंदावन से मथुरा की यात्रा की थी। यही कारण है कि अक्षय नवमी के दिन मथुरा-वृंदावन की परिक्रमा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है, और इस परिक्रमा का विशेष महत्व है।

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