ज्योतिष पर शंका-समाधान, क्यों मंगलवार 15 जनवरी को है मकर संक्रांति.।

पालघर.। मकर संक्रांति हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बड़ा त्यौहार है। मंगलवार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जायेगी। इस दिन खरमास समाप्त हो जाता है।  संक्रमण पूण्यकाल प्रातःकाल 7.17 मिनट से सायं 6.19 तक रहेगा। सूर्य को मकर राशि में प्रवेश के पश्चात देश के विभिन्न तीर्थस्थलों पर एवं घरों में लोग स्नानादि एवं.सूर्योपासना करते हुए संक्रांति का दानादि कर सकते है।

         ज्योतिष पर शंका- समाधान शीर्षक के माध्यम से इस बार फिर अचानक से 14 जनवरी को होने वाला मकर संक्रांति मंगलवार को पड़ने पर ज्योतिष की लेखा जोखा की चर्चा की गयी मुबंई के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आचार्य श्री डाँ. एकदेव श्री नेत्र से जिन्होंने गणना से मूल भूत बातों को सहजता से समझाया।

           प्रायः सूर्य को उत्तरी गोलार्द्ध की ओर से आना शुरू होते ही मकर संक्रांति मनाया जाता है। इस दिन से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती है।14 जनवरी को शाम 7.52 मिनट पर सूर्य  मकर राशि में प्रवेश कर रहा है।

           आचार्य डाँ. एकदेव श्रीनेत के अनुसार इस दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है। सनातन मान्यता है कि इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।गुड़-तिल, रेवड़ी एवं स्थानीय परंपराओं के अनुसार प्रसाद बांटा जाता है। हिन्दु मान्यताओं के तहद यह त्योहार प्रकृति, ऋतु परिवर्तन और भूमाता से जुड़ा है। इसप्रकार तीन चीजों को जीवन का आधार भी माना गया है। प्रकृति के कारक के तौर पर इदिन सूर्योपासना की महत्ता है। उर्जावान हो रहे सूर्य की स्थिति के अनुसार ऋतुओं में बदलाव होता है। भूमाता के गर्भ से अनाज पैदा होती है। अनाज से सजीव जीव- जन्तु समुदाय का भरण-पोषण भी  होता है।

       ज्योतिष शंका- समाधान विषय वस्तु पर सार्थकता समझाते हुए डाँ. आचार्य कहते है कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन सूर्य को देवताओं के लिए रात्रि मतलब नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। ठीक दूसरी ओर सूर्य के उत्तरायण को देवताओं का दिन मतलब सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता  है। इसलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक कार्यों का खास महत्व है.। शास्त्रोंक्त पद्धति को माने तो इस समय पूण्यकाल पर  दिया गया दान सौ गुना फलित होता है। इस सुअवसर पर शुद्ध घी और कंबल का दान मोक्ष की प्राप्ति का रास्ता आसान कर देता है। धर्म पर्व मकर संक्रांति से सूर्य को दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आने के गणना के मुताबिक इसी दिन से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं। सूर्य की उर्जा गर्मी के रुप म़े दिखनी लगती है। दिन बड़ा होने से सूर्य की रोशनी अधिक होगी और रात छोटी होने से अंधकार कम हो जाता है।

इसलिए मकर संक्रांति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होने की भी मान्यता है।

        ज्योतिषाचार्य एवं विद्वानों का कथन है कि इस शुभ मुर्हूत एवं अवसर पर सूर्योपासना का सूर्य मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना लाभदायक होता है।

    सूर्य मंत्र:- ।।ॐ घृणि सूर्याय नम:।।

 महामृत्युंजय मंत्र:- ॐ त्र्यम्बकंम

 यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धन्म। उर्वारुकमिव बन्धनामृत्येर्मुक्षीय मामृतात् ।।

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