
कहानी न बन जाए कुएं तालाब तरक्की के इस दौर में
- Hindi Samaachar
- Jun 12, 2018
- 303 views
अर्जुन शर्मा....
जौनपुर । सैकड़ों, हजारों तालाब अचानक शून्य से प्रकट नहीं हुए थे। इनके पीछे एक इकाई थी बनवाने वालों की तो दहाई थी बनाने वालों की। यह इकाई-दहाई मिलकर सैकड़ा-हजार बने, लेकिन पिछले वर्षाें में नए किस्म की थोड़ी सी समाज ने पढ़ाई क्या पढ़ ली। इसके बाद इस इकाई, दहाई सैकड़ा व हजार को ही शून्य बनाने में लग गए। 'आज भी खरे हैं तालाब' पुस्तक के पहले पन्ने पर लिखी गई कुछ इस तरह की पंक्तियां वर्तमान में तरक्की के पीछे भाग रहे जिले के 45 लाख से अधिक लोगों के परिवार पर सटीक बैठ रही हैं, जो जमीन कम होने के चलते अपने निजी स्वार्थ में बचे कुएं और तालाबों तक के अस्तित्व को खत्म करने में लगे हैं। मौजूदा समय में जलाशयों की स्थिति देखने के बाद ऐसा लग रहा है कि कहीं ये कुएं और तालाब राजा-रानी की तरह कहानी न बन जाए।
रिपोर्टर