चुनावी मौसम में बरसाती मेढ़क की तरह निकल‌ रहे है दलाल उत्तर भारतीय नेता ?

भिवंडी ।। भिवंडी लोक सभा, विधान सभा चुनाव के साथ साथ, नगर पालिका के नगरसेवकों का चुनाव तथा आसपास के ग्रामीण भागों में ग्राम प्रधान व सदस्यों के चुनाव में उत्तर भारतीय समाज का अहम किरदार रहता है । परन्तु भिवंडी शहर व ग्रामीण भागों में उत्तर भारतीय समाज का नेता या संयोजक नहीं होने के कारण चुनावी मौसम में गल्ली गल्ली छुटभैय्या नेता सफेद पोशाक पहनकर  बरसाती मेढ़क की‌ तरह उम्मीदवारों को‌‌ गुमराह करके उत्तर भारतीयों के वोट बैक बेचने का कार्य में लग जाते हैं। उन‌ छुटभैया नेताओं की अपनी गल्ली में कोई औकात नहीं होती है परन्तु वह चौराहे के चाय की दुकान पर बैठ कर सांसद व विधायक तथा ग्राम प्रधान को जेब में रखने की बात करता है। जब की‌ हकीकत यह होती है उम्मीदवारों के मंच पर इन‌ वोट के दलाल‌  छुट भैया नेताओं को बुलाया तक नहीं जाता । भिवंडी शहर पावर लुम मजदूरों का शहर है। उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश के साथ अन्य राज्यों से आऐ अत्यंत ग़रीब परिवार यहाँ रहकर विभिन्न छोटे छोटे व्यवसाय के साथ पावर लुम में मजदूरी करके अपना जीवन यापन करता है। परन्तु आऐ दिन उनके व्यवसाय व परिवार का शोषण किया जाता है। उनका‌ समर्थन अथवा उनको न्याय दिलाने के लिए कोई भी व्यक्ति या समाज का‌ व्यक्ति सामने नहीं आता। मगर चुनावी मौसम आने पर उन‌ उत्तर भारतीयों के वोट बैंक में सेंध मारने के लिए राजकीय पक्षों द्वारा छुटभैया नेताओं को एजेंट बनाकर उनके बीच में भेज दिया जाता है। जिसका‌ फायदा उम्मीदवार उठाकर उनको फिर से उसी रास्ते पर छोड़ देने का कार्य करते है। भिवंडी शहर में उत्तर भारतीय समाज पदमानगर,कामतघर,फेना पाडा,भंडारी कंपाउड ,रावजी नगर, टेमघर,अंजुरफाटा, गायत्रीनगर, नागांव, भादवड़,चविद्रा,खाडीपार ,शेलार आदि जगहों पर भारी संख्या में रहते हैं। वही पर छोटे छोटे व्यवसाय या पावर लुम तथा गोदामों में काम करके झुग्गी झोपड़ियों में रहकर अपना जीवन यापन करते है। पावर लुम‌ के मालिकों द्वारा १२ - १२ घंटा बैल की तरह सिर्फ पगार पर‌ इनसे  काम करवाया जाता है। सिर्फ पगार के अलावा इनको कोई‌ सुविधा उपलब्ध नहीं होती हैं। इन‌ कारखाना मालिकों द्वारा खुल्लम खुल्ला कारखाना कायदा व श्रमिक कायदा का उलंघन किया जाता है। इन कंपनियों में मजदूरों को सिर्फ पगार पर पुरा जीवन निकालना पड़ता है।  वही पर छोटे छोटे व्यवसाय करने वाले उत्तर भारतीय समाज के लोगों पर हमला करना,उनका रोजगार‌ तथा परिवार पर दादागीरी करना, नगर पालिका व स्थानीय निवासियों द्वारा आऐ दिन परेशान करके शोषण किया जाना आम‌ बात है। इनके इन समस्याओं का समाधान करने के लिए समाज‌ का कोई‌ भी‌ नेता अथवा सयोज़क‌ सामने तक नहीं आता।  भाजपा ,कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी, शिवसेना आदि पाटियो में ऐसे सफेद पोशाक पहने दर्जनों छुटभैया एजेंट है। किन्तु इस  लोक सभा चुनाव में उत्तर भारतीय समाज ने ऐसे एजेंट का नकाबपोश उतार फेकने का‌ मन बना लिया है।

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