ना‌ समाज का चिंता सताई ना सम्मान का चिंता सताई , बेचाई गयल हमार बबुआ ?

भिवंडी । सवाददाता । कल्याण लोक सभा सीट पर हिन्दी भाषीय समाज‌‌ एकजुटता का‌ परिचय देते हुए देवेन्द्र सिंह को उम्मीदवार बनाकर नामांकन करवाया था। इस लोक सभा में हिन्दी भाषीय मतदान निर्णायक के भुमिका निभाते हुए आ रहे थे। किन्तु इस बार सर्वसम्मति से हिन्दी भाषीय समाज ने देवेन्द्र सिंह को मैदान में उतार कर इस लोक सभा‌ सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले का ऐलाने  जंग कर दिया था। किन्तु गत बुधवार को देवेन्द्र सिंह ने समाज की सहमति ना लेते हुए अपना‌ नामांकन वापस ले लिया। जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर निंदा की‌ जा रही है।                       

              कल्याण लोक सभा सीट पर हिन्दी भाषीय समाज का दबदबा है। समाज के जानकरों  का मानना था‌ कि‌ इस बार लोक सभा सीट पर हिन्दी ‌भाषीय सासद देखने को‌ मिलेगा। किन्तु चुनाव के पुर्व ही उम्मीदवार देवेद्र सिह दिल्ली पहुँच गये थे। वही पर इनके र्गुगो द्वारा तड़जोड की‌ राजनीति शुरू कर दी थी। सुत्रो से मिली जानकारी के अनुसार शेयर मार्केट के तरह हिन्दी भाषीय मतदाताओं का भाव उछाल मार रहा था। कुछ दलाल स्वयं घोषित उत्तर भारतीय नेताओं ने अपना अपना‌ पिटारा खोलकर कहा कि उम्मीदवार मेरे खेमे का है। मै‌ उसको मना‌ लुंगा। इस तरह‌ की‌ बातें विपक्षी दलों से की जा रही थी। हुआ भी‌‌ वही जो‌ हिन्दी भाषीय समाज को‌ सदा डर सताया रहता है। कि‌ अगुवाई करने वाला ही समाज को‌ विक्रेता होता है। उसे समाज व सम्मान की कोई परवाह नहीं होती है। अपने फायदे के लिए  समाज के साथ धोका करना ही उसका मुल कर्तव्य होता है। 

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