सपा प्रत्याशी तेजबहादुर का पर्चा हुआ खारिज, गठबंधन में ऊहापोह जारी

वाराणसी ।। लोकसभा चुनाव के अति महत्वपूर्ण वाराणसी संसदीय क्षेत्र पर दावेदारी के लिए 29 अप्रैल से ही सपा-बसपा गठबंधन में ऊहापोह जारी है। जिस तरह से सपा-बसपा गठबंधन इस सीट पर प्रत्याशी घोषित करने में ढुलमुल रवैया अपनाया हुआ है और राजनीतिक परिस्थितियों से जाहिर होता है कि या तो उनके पास पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ाने के लिए कोई बड़ा चेहरा नहीं है या तो फिर वाराणसी सीट को लेकर गठबंधन गंभीर नहीं है।बुधवार को सपा की ओर से घोषित उम्मीदवार और बीएसएफ के बर्खास्त सिपाही तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र रद्द हो गया। अब गठबंधन के पास कांग्रेस से आईं पूर्व घोषित उम्मीदवार शालिनी यादव के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। दो मई को नामांकन पत्रों की वापसी होनी है। अब देखना दिलचस्प होगा कि कुछ ही समय में कई उतार-चढ़ाव देखने वाली शालिनी यादव की क्या प्रतिक्रिया होगी।

जिस तरह शालिनी का नामांकन दाखिल करते वक्त सपा ने टिकट काटा था, उस आधार पर शालिनी अब पार्टी को किस तरह से स्वीकारती हैं। इससे शालिनी को झटका ही नहीं लगा, बल्कि सपा-बसपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में असमंजस फैल गया। हालांकि शालिनी ने तब कहा था कि वह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के फैसले का इंतजार करेंगी।बाद में नामांकन पत्रों की जांच के दौरान जिला निर्वाचन अधिकारी सुरेंद्र सिह द्वारा दो नोटिस जारी किए गए। नोटिस के जरिए तेज बहादुर यादव से स्पष्टीकरण मांगा गया कि उन्होंने दो अलग-अलग सेट में नौकरी छोड़ने की दो अलग-अलग वजहें क्यों दी हैं। संतोषजनक जवाब न देने के कारण तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र खारिज हो गया और उनके चुनाव लड़ने के सपनों पर पानी फिर गया।


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