
वराला तालाब का बांध कमजोर
- महेंद्र कुमार (गुडडू), ब्यूरो चीफ भिवंडी
- Jul 13, 2019
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भिवंडी ।। भिवंडी शहर का एकमेव तालाब वराला तालाब का बांध अत्यंत कमजोर होने के कारण कभी भी जानलेवा हो सकता हैं बांध का निर्माण कार्य पत्थर जोड़ कर ५० वर्ष पुर्व हुआ.बारिश में बांध से लगातार पानी बहने के कारण कभी भी टूट सकता हैं.जिसके कारण रत्नागिरी जैसा हालात भिवंडी में हो सकता हैं. इस प्रकार का अंदेशा भाजपा गटनेता निलेश चौधरी ने लगाया है ।
गौरतलब हो भिवंडी शहर को प्रतिदिन ३ एम एलडी पीने का पानी की आपूर्ति मनपा प्रशासन इसी तालाब से करती हैं. यह तालाब लगभग डेढ़ सौ एकड़ में फैला हुआ है. बारिश में तालाब का पानी रोकने के लिए ५० वर्ष पुर्व में पत्थर जोड़ कर बांध का निर्माण किया गया था. किन्तु बारिश में निरंतर पानी निकलने के कारण पत्थर का बांध कमजोर हो गया है वही पर कभी भी टूट सकता हैं जिसकी मरम्मत करने की नितांत आवश्यकता हैं. बांध टूटने का खतरा मंडरा रहा है. कभी भी भविष्य में बांध टूटा तो चंदन बाग, भारत कालोनी, भवानी नगर में जल प्रलय आ सकता हैं. जिसके कारण रत्नागिरी जैसा हालात भिवंडी में हो सकता हैं. बांधकाम का निरीक्षण करने तथा उक्त जगह पर नया बांध बनाने की मांग भाजाप गट नेता निलेश चौधरी ने मनपा आयुक्त को लिखित निवेदन पत्र देकर मांग किया है शिकायत पत्र में उन्होंने कहा हैं कि रत्नागिरी में तिवरे बांध टूटने के कारण काई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी. और काई अभी भी लापता हैं. इसी प्रकार वराला देवी तालाब का बांध भी अत्यंत कमजोर हुआ है. बारिश के दिनों में बांध से निरंतर निकलते पानी कभी भी बांध को तोड़ सकता हैं जिसके कारण अनेक लोग प्रभावित होगें.मनपा प्रशासन द्वारा जल्द बांध का निरीक्षण कर नया बांध बनाया जायें. ताकि भविष्य होने वाले घटना से चंदन बाग,भारत कालोनी, भवानी नगर वासियो को बचाया जा सकें। मनपा प्रशासन इस बांध को मरम्मत कराने के लिए अनदेखी करता आ रहा है ।
वराला देवी तालाब पत्थर बांध के निचले भाग में रंगराव विठोबा पवार विद्यालय हैं जिसमें प्रतिदिन सैकड़ों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं इस बांध को टूटने से सबसे ज्यादा खतरा विद्यालय को ही हैं परन्तु मनपा प्रशासन लापरवाह होने के कारण आज तक इस पत्थर बांध को पुनः निर्माण कराने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया.स्थानिक निवासियों सहित विद्यार्थी इस खतरे को जानकारी होने पर भी जान जोखिम में डालकर रहने तथा पढ़ने के लिए मजबूर हैं ।
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