खंडग्रास चंद्रग्रहण आज तोड़ेगा काशी की 27 साल पुरानी परंपरा

वाराणसी ।। महादेव की नगरी काशी का गंगा से युगों का नाता है। काशी विश्वनाथ के पास ही मां गंगा का होना उनका महत्व और बढ़ा देता है। शायद यही कारण है कि पिछले 27 सालों से हर रोज गंगा मां की आरती करने की एक परंपरा निभाई जाती है। लेकिन मंगलवार को खंडग्रास चंद्रग्रहण लगने से ये परंपरा टूट जाएगी।

 दशाश्वमेध घाट पर होने वाली विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती की परंपरा सूतक काल के चलते टूट जाएगी। खंडग्रास चंद्रग्रहण के कारण 16 जुलाई को गंगा आरती का समय शाम के बजाय दिन में तीन बजे रखा गया है। गंगा सेवा निधि की ओर से होने वाली आरती दोपहर तीन बजे से शुरू होकर चार बजे तक होगी। यह जानकारी संस्था के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने दी।सुशांत मिश्र ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण से पूर्व देवालयों के कपाट बंद होने की परंपरा है। इसको देखते हुए दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती के समय में भी परिवर्तन किया गया है। संकटमोचन मंदिर के गोपाल पांडेय ने बताया कि मंगलवार को लगने वाले चंद्रग्रहण के कारण मंदिर का पट शाम 4:30 बजे की आरती के बाद बंद हो जाएगा। इसके उपरांत बुधवार को सुबह आरती के साथ पट खुलेगा। ग्रहण का स्पर्श रात के 1:31 बजे, मध्य 3 बजे एवं मोक्ष रात्रि 4:30 बजे होगा। सूतक काल नौ घंटे पूर्व का माना गया है।सुशांत मिश्र ने बताया कि काशी की विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती इसके पहले भी दो बार सूतक के चलते जल्दी हुई है। सुशांत मिश्र ने बताया कि मां गंगा की आरती सन् 1991 से शुरू हुई थी। गंगा सेवा निधि द्वारा होने वाली गंगा आरती 27 सालों में तीसरी बार दिन में होगी। इसके पहले 27 जुलाई 2018 को ग्रहण के कारण दोपहर में हुई थी। इसी तरह से 2017 में 8 अगस्त को दिन में आरती संपन्न कराई गई थी। तीन वर्षों से ऐसा लगातार ये तीसरी बार होने जा रहा है।

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