
शारदीय नवरात्रि विशेष-हाथी पर सवार हो पहुँच रही है माँ..
- Hindi Samaachar
- Sep 25, 2019
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पालघर ।। शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ 29 सितंबर आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा रविवार को हो रहा है। देवी माँ के भक्त यथा शक्ति तथा भक्ति लिए घरों और तमाम माता के मंदिरों में सजावट एवं पूजा अर्चना के तैयारियों में जुटे हैं। ऐसे में माता के भक्तों के आस्था को लेकर पूजन पाठ, शंका समाधान पर हमारे जिला संवाददाता ने बात की है ज्योतिषाचार्य डाँ. एकदेव एस. श्री नेत्र से.।
माँ भगवती का वाहन वैसे सिंह को माना गया है लेकिन हमेशा नवरात्रों में समय तिथियों के अनुसार माँ अलग-अलग वाहनों पर सवार हो मृत्युलोक में भक्तों को दर्शन देने हेतु घरों एवं देवालयों में विराजमान होती है। पुनः महादशमी को अन्य सवारियों से विदा हो देवधाम के लिये प्रस्थान कर जाती है। शास्त्रोक्त पद्धति के मुताबिक
●शशिसूर्यू गजारचढ़ा शनिभौमे तुरंगमे.।"●
●गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्तितां.।।●
शाब्दिक अर्थों मे जाने तो सोमवार,रविवार को कलश घट स्थापना होने पर माँ हाथी पर सवार हो आती है।शनिवार, मंगलवार को घोड़े पर सवार, गुरुवार,शुक्रवार के दिन डोली में सवार हो एवं बुधवार के दिन स्थापना होने पर नाँव में सवार हो पहुँचती है।
शारदीय नवरात्रि के 9दिनों में बड़े दुर्लभ संयोग बन रहे है। इसमें 5 सर्वाथसिद्धियोग,6 रवियोग,2अमृतसिद्धि योग 1 द्विपुष्कर योग है। यह विशेष फलप्रदायनि संयोग है।
◆ नौ दिनों में बन रहे नौ शुभसंयोगों में पहले दिन◆
घटस्थापना अभिजीत मुर्हूत में माँ शैलपुत्री पूजनअमृत,सर्वाथसिद्धियोग है।दुसरें दिन ब्रह्मचारिणी पूजन,तीसरें दिन रवियोग में चंद्रघंटा पूजन,चौथे दिन अमृत,सर्वाथसिद्धियोग योग में माँ कुष्मांडा पूजन,पांचवें दिन सर्वाथसिद्धियोग, रवियोग में स्कंदमाता पूजन,छठें दिन रवियोग में माँ कात्यायनी पूजन,सातवें दिन कालरात्रि पूजन (महानिशा पूजा),आठवें दिन सर्वाथसिद्धियोग, रवियोग में महागौरी पूजन,नौवें दिन सर्वाथसिद्धियोग, रवियोग में माँ सिद्धिदात्री पूजन का विधान रखा गया है।
माता के भक्तगण माँ की शक्तियों एवं दुर्लभ आशिष हेतु प्रथम दिवस प्रातः काल स्नानादि से निवृत्ति हो नये वस्त्र धारण कर पहले सूर्य को अर्घ्य दे।कुलदेवी,देवता, पितरों, तथा घरों में प्रतिष्ठित देवी देवताओं का पूजनपाठ करे। माता पिता ,बड़े बुर्जुग का चरणस्पर्श करें।गुरु, ब्राह्मण, मातृशक्ति,बच्चों को वस्त्रअलंकार,द्रव्य आदि दान करें। घर के मुख्य दरवाजे पर आम्रपत्र का तोरणद्वार तथा वंदनवार लगाये।घर के दरवाजे पर रंगोली चौक डलवायें। केसरिया धर्मध्वजा फहराये.। इससें माता प्रसन्न हो मनोवांछित फल जरूर देंगी.।
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