सत्यगाथा


मंदिर -  मंदिर  घूमते , टोपी  वाला  भेष 

घोल रहें वो देश मे , बोल बोल अब द्वेष

बोल बोल अब द्वेष , मिल रहें चोरी चोरी 

पाक इन्हे अतिशय प्यारा एैसी लतखोरी 

कह  बृजेश कविराय ये जनमत से है बैर 

मना लो बकरे की जरा ,मम्मी अपने खैर 

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