नहीं रहे जिद्दी जौनपुरी, सैकड़ों लोगों ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

सुइथाकला , जौनपुर।

जौनपुर जिले के पश्चिमी छोर पर सुइथाकला ब्लाक अंतर्गत स्थित भेला गाँव के मशहूर शायर व भजन लेखक गिरिजाशंकर मिश्र “जिद्दी जौनपुरी” जी 23 अक्टूबर 2020 दिन शुक्रवार को सायं 8 बजे ब्रह्मतत्व में विलीन हो गए ।  शनिवार को सुबह 10 बजे गोमती तट पर उनके सैकड़ो  परिवारीजनों , सम्बन्धियों व मित्रों की उपस्थिति में अंतिम संस्कार किया गया। वर्तमान में उनकी उम्र लगभग 85 वर्ष की हो चुकी थी। 

जिद्दी जौनपुरी के उपनाम से मशहूर श्री मिश्र जी वास्तव में स्वभाव के अति विनम्र व सामाजिक व्यक्ति थे किन्तु कलाकारों से शायरी में मुठभेड़ होने पर उसे परास्त करने के जुनून के स्वभाव से प्रभावित होकर मशहूर ढोलवादक व रामचरित मानस के स्वरबद्ध गायक पप्पू उपाध्याय ने उन्हें ‘जिद्दी जौनपुरी’ उपनाम से सम्बोधित करना शुरू किया । धीरे धीरे वो क्षेत्र में जिद्दी जौनपुरी  के नाम से मशहूर हो गए ।  वह शायरी व भजन की रचना में पारंगत थे किंतु उस समय में छपाई के साधन ग्रामीणों की पहुँच से दूर होने की वजह से उनकी रचनाएं संग्रहित नहीं हैं। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इनकी शिक्षा चौथी कक्षा तक ही थी किन्तु स्वभाव से कवि व लेखक जिद्दी जौनपुरी की संगति सदा ऐसे लोगों से ही रहती जिनको कविता शायरी भजन आदि से लगाव रहता।

  परिवार में भी उनके इस स्वभाव के कारण उनका विरोध होता रहता था किन्तु उन्होंने अपने कविता प्रेम को कभी झुकने नहीं दिया। परिवार के दबाव से परेशान होकर एक दिन वह घर से बिना बताए गायब हो गए । परेशान परिजनों ने काफी खोजबीन की किन्तु इनका पता नहीं चला। 

इस समय भी वह परिवार के पास बिना अपना पता लिखे पत्र लिखते रहते थे जिससे परिवार के  लोग उनकी कुशल जान लेते थे किंतु उनका पता नहीं लगा पा रहे थे। इस दरम्यान वो लखनऊ की किसी मशहूर धार्मिक ड्रामा पार्टी में काम कर अपनी कला का प्रदर्शन किया करते थे। एक बार इन्होंने अपने एक पुलिस मित्र को अपने पारिवारिक जीवन के विषय में बता दिया। उस पुलिसवाले ने उनके परिवार को खत भेजकर उनका पता दे दिया।इसके बाद परिवारवाले उनको समझा बुझाकर घर ले आए। 

भजन कीर्तन करने में इनकी बहुत रुचि रहती थी। जीवन के अंतिम आठ वर्ष में इनकी नजर कमजोर होने से यह घर पर ही रहते थे किंतु फिर भी इनका कविता प्रेम ऐसा था कि अपने घर के पास से गुजरने वाले सभी परिचितों को रोककर यह उन्हें अपनी कोई न कोई धार्मिक रचना जिसमें भगवान राम, भगवान कृष्ण , अर्जुन, कर्ण, भीष्म, कुंती, सीता, मंदोदरी, भरत आदि की चरित्र कथा सुनाकर आनन्दित होते रहते थे और लोग बड़े सम्मान व प्रेम से उसे सुनते ।

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