अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी -"तीन बडे़ नेताओं की चुप्पी और चार राजनैतिक पार्टियों की छवि पर प्रश्नचिन्ह" ❓

मुंबई ।। 4 नबंबर को अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा। सामाजिक न्याय मंत्री थावरचंद गहलोत के अलावा हर कैबिनेट मंत्री ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ ट्वीट या रिट्वीट किया है। कई ऐसे ट्वीट भी सामने आए जिनमें अर्नब को समर्थन देने के साथ-साथ कांग्रेस और शिवसेना को निशाना बनाया गया है। इससे पहले किसी पत्रकार की गिरफ़्तारी को लेकर इतने बड़े पैमाने पर भारत के केंद्रीय मंत्रियों की फ़ौज ने ऐसी एकजुटता दिखाई हो, ऐसा उदाहरण पिछले छह साल में कभी देखने को नहीं मिला।

अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी के पदाधिकारी भी बोले। इनमें उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी शामिल थे और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी। जब पार्टी का शीर्ष नेतृत्व साथ हो तो कार्यकर्ता कैसे पीछे रहते। कई जगह अर्नब गोस्वामी की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ वो सड़कों पर भी उतरे।

दूसरी तरफ़ पूरे मामले पर शिवसेना, महाराष्ट्र पुलिस के साथ खड़ी दिखी। आख़िर हो भी क्यों न प्रदेश में मुख्यमंत्री भी तो शिवसेना से ही हैं। लेकिन अर्नब की गिरफ़्तारी के समर्थन में तीन लोगों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में हैं। न तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी बोलीं, न ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी और इतना ही नहीं एनसीपी नेता शरद पवार की तरफ़ से भी कोई बयान नहीं आया।जहाँ केंद्रीय नेताओं के ट्वीट पर लोग सवाल उठा रहे हैं। वहीं इन तीन नेताओं की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। ऐसा इसलिए क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति में- शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस और बीजेपी- इन चारों ही पार्टियों की छवि दाँव पर है।

शिवसेना ने एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाई है।भले ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे शिवसेना से हों लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति के जानकार हमेशा कहते हैं, इस सरकार का 'रिमोर्ट कंट्रोल' एनसीपी नेता शरद पवार के हाथ में है। इसलिए उनके बयान का सबको इंतजार है।

रिपोर्टर

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