
आषाढ़ी एकादशी पर कल्याण में निकली भव्य विट्ठल यात्रा
- Rohit R. Shukla, Journalist
- Jul 06, 2025
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उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने की ज्ञान दिंडी की पूजा
कल्याण । आषाढ़ी एकादशी के पावन अवसर पर कल्याण चेरीटेबल ट्रस्ट, सेंचुरी रेयान, बी.के. बिड़ला महाविद्यालय, बी.के. बिड़ला रात्रिकालीन महाविद्यालय, बी.के. बिड़ला पब्लिक स्कूल एवं सेंचुरी रेयान हाई स्कूल द्वारा भव्य ज्ञान दिंडी यात्रा का आयोजन किया गया।
यात्रा का शुभारंभ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा विधिवत पूजा-अर्चना के साथ किया गया। इस अवसर पर उन्होंने उपस्थित विठ्ठल भक्तों को संबोधित करते हुए संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम तथा वारकरी परंपरा के सांस्कृतिक व आध्यात्मिक योगदान पर प्रकाश डाला। उपमुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखकर निकाली गई इस यात्रा की सराहना की और इसे ज्ञानेश्वरी परंपरा की आधुनिक अभिव्यक्ति बताया। यात्रा में हजारों की संख्या में श्रद्धालु एवं विद्यार्थी शामिल हुए। आकर्षक रथ पर विराजमान विठ्ठल-रुक्मिणी की झांकी, पारंपरिक पालकी, ढोल पथक, लेज़ीम दल, योग प्रदर्शन और भजन मंडलियाँ भक्तों के आकर्षण का केंद्र बनीं। भजन-कीर्तन की गूंज और भक्तिरस में झूमते वारकरी जनसमूह ने वातावरण को आध्यात्मिक बना दिया।यह यात्रा पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और संत परंपरा की महत्ता के संदेश के साथ विठोबा-रुक्मिणी जी की भक्ति को समर्पित रही। विट्ठल-रुक्मिणी की झांकी के साथ यात्रा की शुरुआत बी.के. बिड़ला महाविद्यालय, कल्याण से हुई, जो शहाड स्थित विट्ठल मंदिर में आरती और प्रसाद वितरण के साथ सम्पन्न हुई।
इस अवसर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल पाटील, विधायक विश्वनाथ भोईर, सुलभा गायकवाड़, कुमार आयलानी, नरेंद्र पवार, प्रमोद हिंदुराव, शिक्षा निदेशक डॉ. नरेश चंद्र, प्राचार्य डॉ. अविनाश पाटील, डॉ. हरीश दुबे, सेंचुरी रेयान के यूनिट हेड दिग्विजय पांडे और महाविद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष श्री ओ.आर. चितलांगे उपस्थित रहे। चितलांगे ने उपमुख्यमंत्री शिंदे का स्वागत रुक्मिणी-विठोबा की मूर्ति, शॉल, श्रीफल व तुलसी का पौधा भेंट कर किया। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं और सहभागियों का आभार व्यक्त किया। शहाड स्थित श्री विठोबा मंदिर में केडीएमसी कमिश्नर अभिनव गोयल, उल्हासनगर कमिश्नर मनीषा आव्हाले और श्री चितलांगे द्वारा महापूजा संपन्न की गई। यह वार्षिक ज्ञान दिंडी यात्रा वर्ष 2016 से ओ.आर. चितलांगे के मार्गदर्शन में नियमित रूप से आयोजित की जा रही है, जो संत परंपरा, शिक्षा और सामाजिक चेतना का सुंदर संगम प्रस्तुत करती है।
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