भक्ति के बिना प्रभु की कृपा नहीं मिलती-आचार्य राघव जी

समोधपुर , जौनपुर । 

जौनपुर जनपद की सीमा पर बसे गाँव समोधपुर  में भगवान रामजी के भक्त  श्री श्री108 बाबा रामयज्ञ दास जी महाराज के सिद्धपीठ पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञानयज्ञ के द्वितीय दिवस के कार्यक्रम में कथा व्यास आचार्य श्री राघव जी द्वारा कथा के महात्म्य पर प्रकाश डालते हुए विश्वास को प्रभुभक्ति के लिये परमावश्यक बताते हुए लोगों को प्रभु में अपना विश्वास दृढ़ करने का निवेदन किया। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि जिस प्रभु ने  पूतना को जिसने कालकूट विष को अपने स्तनों पर लगाकर प्रभु को मार देने के विचार से स्तनपान कराया था उसे माता यशोदा जैसी गति प्रदान की उस प्रभु से बड़ा कृपालु कौन हो सकता है। ऐसे प्रभु में यदि मनुष्य का विश्वास दृढ़ नहीं होता तो वह अभागा ही है। उन्होंने कलियुग में भगवतकथा श्रवण व हरि कीर्तन को मुक्ति का सहज मार्ग बताया। उन्होंने सभी माता पिता को अपने बच्चों को अपने द्वारा किये गए आचरण से संस्कार देने को समाज में प्रेम भक्ति बढ़ाने का मूल बताया।  


भगवान के चौबीस अवतारों का संक्षिप्त वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के सभी अवतार भक्तों के कल्याण व   समाज के लिये प्रेरणादायक बताया जिससे व्यक्ति को जीवन के उद्देश्य की समझ हो। भगवान शुकदेव के जन्म की मनभावनी कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने प्रभु की अमरकथा की महिमा पर  भी प्रकाश डाला। 


श्रोताओं के अनुसार कथा व्यास आचार्य श्री  राघव जी ,माँ सरस्वती  की कृपा से प्राप्त सुंदर स्वर से भगवान के भजनों को कथा के बीच बीच में परोसते हुए श्रोताओं को मुग्ध करके रखते हैं तथा कथा कब विश्राम पर पहुँच जाती है पता ही नहीं चलता। क्षेत्र  में यह चर्चा चल रही है कि  इतनी अल्प आयु में ऐसी सुंदर भगवतकथा का ज्ञान व सुंदर ढंग से भगवतचरित्र की प्रस्तुति निश्चित ही भगवान की कृपा है।


इस अवसर पर मऊनाथ भंजन जिले से पधारे प्रोफेसर प्रदीप पांडेय जी ने सिद्धपीठ के दर्शनोपरांत बड़े प्रेम से भगवतकथा को सुना ततपश्चात उन्होंने कथा व्यास आचार्य श्री राघव जी तथा कथा आयोजक आचार्य श्री सत्येंद्र जी को अंगवस्त्र भेंट कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया ।

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