रासलीला भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य लीला है- डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Feb 05, 2021
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नुआंव, कैमूर से प्राची सिंह की रिपोर्ट
भगवान श्रीकृष्ण ने एक रस को अनेक किया, और अनेक रस एक किया। अर्थात एक ही रस जब अनेक रूप में अभिव्यक्त होने लगे, वही रासलीला है। रासलीला में भगवान ने गोपियों को प्रसन्न करने के लिए यह लीला की। यह प्राकृतिक लीला नहीं, यही भगवान की सरवोच्च और दिव्य लीला है। उक्त कथा रामानुजाचार्य डॉक्टर पुंडरीक शास्त्री ने एवंती महंगू ब्रह्म परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान कही। श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग का वर्णन करते हुए कहा कि इस लीला के माध्यम से भगवान ने गोपियों को अपना प्रिय बनाया। इसके बाद गोपियों में जब अभिमान आ गया तब भगवान अंतर्ध्यान हो गए। और यह संकेत दिए कि जीव के अंदर जब अभिमान आ जाता है तो भगवान यहां से अंतर्ध्यान हो जाते हैं। अपने अपराध बोध से ग्रसित गोपियों का जब अभिमान और अहंकार नष्ट हो गया, तब भगवान प्रसन्न हो गए। और गोपियां उनकी प्रिय हो गई। द्वारिकापुरी में कृष्ण और रुक्मिणी की भक्ति ही कृष्ण-रुक्मिणी विवाह है। कथा के दौरान यज्ञ के आयोजक रामजी तिवारी, रंगनाथ उपाध्याय, पंचायत के मुखिया रणजीत सिंह "पिंटू" टबलु उपाध्याय, दयानन्द प्रसाद, नरसिंह सिंह, डॉक्टर वीरेंद्र सिंह सहित काफी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद थे।
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