दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान शिशुओं को मिल रही डायरिया से सुरक्षा

अभिभावकों को मिल रही  डायरिया प्रबंधन की जानकारी 

आशा बाँट रहीं हैं घर घर ओ.आर.एस.  पैकेट और ज़िंक की गोली      


कैमूर (भभुआ)।।आम तौर पर हम डायरिया जैसे रोग को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं।लेकिन मौसम के हल्के बदलाव या खाने पीने की वस्तुओं में हुई जरा सी लापरवाही से सामान्य दिखने वाला डायरिया काफी गंभीर  हो सकता है। विशेष तौर पर छोटे बच्चों के संवेदनशील शरीर पर इसका असर कुछ अधिक ही हो सकता है। इसलिए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इससे सुरक्शित रखने के लिए जिले भर में 31 जुलाई तक 15 दिवसीय दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। ताकि दस्त संबन्धित लक्षण और उससे बचाव की जानकारी द्वारा अभिभावकों को इसके लक्षण और सही समय पर उचित प्रबंधन कर इस रोग से बच्चों का बचाव आसान हो सके। 

आशा कार्यकर्ता द्वारा हो रहा डोर टू डोर वितरण और जागरूकता कार्य’:  

जिला वेक्टर बोर्न रोग पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया दस्त पखवाड़े के सफल संचालन का भार  सभी संबन्धित स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ताओं पर है। जिसके लिए उन्हें पहले से ही प्रशिक्षित कर दिया गया है। जिससे उन्हें छोटे बच्चे बाले घरों को चिह्नित  करने में सहूलियत हो सके।विभागीय निर्देशानुसार यह अभियान पोलियो अभियान की तरह ही चलाया जा रहा है । जिसमें आशा कार्यकर्ता चिह्नित  घरों में जाकर न सिर्फ 2 पैकेट ओआरएस एवं 14 जिंक टैबलेट देंगी, बल्कि अभिभाबकों को इसे घोल के रूप में बनाना भी सिखा रही हैं। 

किया जा रहा साफ सफाई के प्रति जागरूक : 

डॉ. अशोक ने बताया डायरिया के होने का सबसे बड़ा कारण गंदगी और दूषित जल है। इसलिए आशा कार्यरता कोरोना सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुये समुदाय को स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा रही हैं और साथ में बच्चों के साफ सफाई रखने और आहार की शुद्धता , साफ पानी के उपयोग आदि के बारे में भी अवगत करा रही है।  

रोग से बचाव के लिए लक्षणों  की जानकारी आवश्यक : 

डायरिया  से बचने के लिए शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से पहचान की जा सकती है । ताकि गंभीर होने से पहले ही रोकथाम कर बच्चों को इसके चपेट में आने से बचाया जा सके। लगातार पतले दस्त का होना,बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना,प्यास का बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना,दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और दस्त में खून आना  , ये सब डायरिया के लक्षण हैं |इसलिए प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल देना शुरू कर दें । यदि इससे राहत नहीं मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले  जाएँ ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।  

स्तनपान से डायरिया में बचाव:

दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान शिशुओं को मिल रही डायरिया से सुरक्षा 

अभिभावकों को मिल रही  डायरिया प्रबंधन की जानकारी 

आशा बाँट रहीं हैं घर घर ओ.आर.एस.  पैकेट और ज़िंक की गोली      

भभुआ,16 जुलाई | आम तौर पर हम डायरिया जैसे रोग को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं।लेकिन मौसम के हल्के बदलाव या खाने पीने की वस्तुओं में हुई जरा सी लापरवाही से सामान्य दिखने वाला डायरिया काफी गंभीर  हो सकता है। विशेष तौर पर छोटे बच्चों के संवेदनशील शरीर पर इसका असर कुछ अधिक ही हो सकता है। इसलिए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इससे सुरक्शित रखने के लिए जिले भर में 31 जुलाई तक 15 दिवसीय दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। ताकि दस्त संबन्धित लक्षण और उससे बचाव की जानकारी द्वारा अभिभावकों को इसके लक्षण और सही समय पर उचित प्रबंधन कर इस रोग से बच्चों का बचाव आसान हो सके। 

आशा कार्यकर्ता द्वारा हो रहा डोर टू डोर वितरण और जागरूकता कार्य’:  

जिला वेक्टर बोर्न रोग पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया दस्त पखवाड़े के सफल संचालन का भार  सभी संबन्धित स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ताओं पर है। जिसके लिए उन्हें पहले से ही प्रशिक्षित कर दिया गया है। जिससे उन्हें छोटे बच्चे बाले घरों को चिह्नित  करने में सहूलियत हो सके।विभागीय निर्देशानुसार यह अभियान पोलियो अभियान की तरह ही चलाया जा रहा है । जिसमें आशा कार्यकर्ता चिह्नित  घरों में जाकर न सिर्फ 2 पैकेट ओआरएस एवं 14 जिंक टैबलेट देंगी, बल्कि अभिभाबकों को इसे घोल के रूप में बनाना भी सिखा रही हैं। 

किया जा रहा साफ सफाई के प्रति जागरूक : 

डॉ. अशोक ने बताया डायरिया के होने का सबसे बड़ा कारण गंदगी और दूषित जल है। इसलिए आशा कार्यरता कोरोना सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुये समुदाय को स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा रही हैं और साथ में बच्चों के साफ सफाई रखने और आहार की शुद्धता , साफ पानी के उपयोग आदि के बारे में भी अवगत करा रही है।  

रोग से बचाव के लिए लक्षणों  की जानकारी आवश्यक : 

डायरिया  से बचने के लिए शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से पहचान की जा सकती है । ताकि गंभीर होने से पहले ही रोकथाम कर बच्चों को इसके चपेट में आने से बचाया जा सके। लगातार पतले दस्त का होना,बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना,प्यास का बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना,दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और दस्त में खून आना  , ये सब डायरिया के लक्षण हैं |इसलिए प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल देना शुरू कर दें । यदि इससे राहत नहीं मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले  जाएँ ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।  

स्तनपान से डायरिया में बचाव:

डॉ. सिंह ने बताया 6 माह से कम उम्र के बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय अधिक से अधिक बार स्तनपान है। इससे शिशु को डायरिया से होने वाले डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है और माँ के दूध से मिली रोग प्रतिरोधक क्षमता न सिर्फ डायरिया बल्कि कई रोगो से बचा सकता है।  दस्त होने पर स्तनपान को बढ़ा देना चाहिए| अधिक से अधिक बार स्तनपान कराने से शिशु डिहाइड्रेशन से बचा रहता है एवं इससे डायरिया से बचाव भी होता है|

दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान शिशुओं को मिल रही डायरिया से सुरक्षा 

अभिभावकों को मिल रही  डायरिया प्रबंधन की जानकारी 

आशा बाँट रहीं हैं घर घर ओ.आर.एस.  पैकेट और ज़िंक की गोली      

भभुआ,16 जुलाई | आम तौर पर हम डायरिया जैसे रोग को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं।लेकिन मौसम के हल्के बदलाव या खाने पीने की वस्तुओं में हुई जरा सी लापरवाही से सामान्य दिखने वाला डायरिया काफी गंभीर  हो सकता है। विशेष तौर पर छोटे बच्चों के संवेदनशील शरीर पर इसका असर कुछ अधिक ही हो सकता है। इसलिए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इससे सुरक्शित रखने के लिए जिले भर में 31 जुलाई तक 15 दिवसीय दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। ताकि दस्त संबन्धित लक्षण और उससे बचाव की जानकारी द्वारा अभिभावकों को इसके लक्षण और सही समय पर उचित प्रबंधन कर इस रोग से बच्चों का बचाव आसान हो सके। 

आशा कार्यकर्ता द्वारा हो रहा डोर टू डोर वितरण और जागरूकता कार्य’:  

जिला वेक्टर बोर्न रोग पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया दस्त पखवाड़े के सफल संचालन का भार  सभी संबन्धित स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ताओं पर है। जिसके लिए उन्हें पहले से ही प्रशिक्षित कर दिया गया है। जिससे उन्हें छोटे बच्चे बाले घरों को चिह्नित  करने में सहूलियत हो सके।विभागीय निर्देशानुसार यह अभियान पोलियो अभियान की तरह ही चलाया जा रहा है । जिसमें आशा कार्यकर्ता चिह्नित  घरों में जाकर न सिर्फ 2 पैकेट ओआरएस एवं 14 जिंक टैबलेट देंगी, बल्कि अभिभाबकों को इसे घोल के रूप में बनाना भी सिखा रही हैं। 

किया जा रहा साफ सफाई के प्रति जागरूक : 

डॉ. अशोक ने बताया डायरिया के होने का सबसे बड़ा कारण गंदगी और दूषित जल है। इसलिए आशा कार्यरता कोरोना सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुये समुदाय को स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा रही हैं और साथ में बच्चों के साफ सफाई रखने और आहार की शुद्धता , साफ पानी के उपयोग आदि के बारे में भी अवगत करा रही है।  

रोग से बचाव के लिए लक्षणों  की जानकारी आवश्यक : 

डायरिया  से बचने के लिए शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से पहचान की जा सकती है । ताकि गंभीर होने से पहले ही रोकथाम कर बच्चों को इसके चपेट में आने से बचाया जा सके। लगातार पतले दस्त का होना,बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना,प्यास का बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना,दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और दस्त में खून आना  , ये सब डायरिया के लक्षण हैं |इसलिए प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल देना शुरू कर दें । यदि इससे राहत नहीं मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले  जाएँ ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।  

स्तनपान से डायरिया में बचाव:

डॉ. सिंह ने बताया 6 माह से कम उम्र के बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय अधिक से अधिक बार स्तनपान है। इससे शिशु को डायरिया से होने वाले डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है और माँ के दूध से मिली रोग प्रतिरोधक क्षमता न सिर्फ डायरिया बल्कि कई रोगो से बचा सकता है।  दस्त होने पर स्तनपान को बढ़ा देना चाहिए| अधिक से अधिक बार स्तनपान कराने से शिशु डिहाइड्रेशन से बचा रहता है एवं इससे डायरिया से बचाव भी होता है|

दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान शिशुओं को मिल रही डायरिया से सुरक्षा 

अभिभावकों को मिल रही  डायरिया प्रबंधन की जानकारी 

आशा बाँट रहीं हैं घर घर ओ.आर.एस.  पैकेट और ज़िंक की गोली      

भभुआ,16 जुलाई | आम तौर पर हम डायरिया जैसे रोग को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते हैं।लेकिन मौसम के हल्के बदलाव या खाने पीने की वस्तुओं में हुई जरा सी लापरवाही से सामान्य दिखने वाला डायरिया काफी गंभीर  हो सकता है। विशेष तौर पर छोटे बच्चों के संवेदनशील शरीर पर इसका असर कुछ अधिक ही हो सकता है। इसलिए 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों को इससे सुरक्शित रखने के लिए जिले भर में 31 जुलाई तक 15 दिवसीय दस्त नियंत्रण पखवाड़ा चलाया जा रहा है। ताकि दस्त संबन्धित लक्षण और उससे बचाव की जानकारी द्वारा अभिभावकों को इसके लक्षण और सही समय पर उचित प्रबंधन कर इस रोग से बच्चों का बचाव आसान हो सके। 

आशा कार्यकर्ता द्वारा हो रहा डोर टू डोर वितरण और जागरूकता कार्य’:  

जिला वेक्टर बोर्न रोग पदाधिकारी डॉ. अशोक कुमार सिंह ने बताया दस्त पखवाड़े के सफल संचालन का भार  सभी संबन्धित स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ताओं पर है। जिसके लिए उन्हें पहले से ही प्रशिक्षित कर दिया गया है। जिससे उन्हें छोटे बच्चे बाले घरों को चिह्नित  करने में सहूलियत हो सके।विभागीय निर्देशानुसार यह अभियान पोलियो अभियान की तरह ही चलाया जा रहा है । जिसमें आशा कार्यकर्ता चिह्नित  घरों में जाकर न सिर्फ 2 पैकेट ओआरएस एवं 14 जिंक टैबलेट देंगी, बल्कि अभिभाबकों को इसे घोल के रूप में बनाना भी सिखा रही हैं। 

किया जा रहा साफ सफाई के प्रति जागरूक : 

डॉ. अशोक ने बताया डायरिया के होने का सबसे बड़ा कारण गंदगी और दूषित जल है। इसलिए आशा कार्यरता कोरोना सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुये समुदाय को स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा रही हैं और साथ में बच्चों के साफ सफाई रखने और आहार की शुद्धता , साफ पानी के उपयोग आदि के बारे में भी अवगत करा रही है।  

रोग से बचाव के लिए लक्षणों  की जानकारी आवश्यक : 

डायरिया  से बचने के लिए शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख आसानी से पहचान की जा सकती है । ताकि गंभीर होने से पहले ही रोकथाम कर बच्चों को इसके चपेट में आने से बचाया जा सके। लगातार पतले दस्त का होना,बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना,प्यास का बढ़ जाना, भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना,दस्त के साथ हल्के बुखार का आना और दस्त में खून आना  , ये सब डायरिया के लक्षण हैं |इसलिए प्राथमिक उपचार के रूप में ओ.आर.एस. का घोल देना शुरू कर दें । यदि इससे राहत नहीं मिले तो बिना विलम्ब किये तुरंत मरीज को चिकित्सक के पास ले  जाएँ ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके।  

स्तनपान से डायरिया में बचाव:

डॉ. सिंह ने बताया 6 माह से कम उम्र के बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए सबसे कारगर उपाय अधिक से अधिक बार स्तनपान है। इससे शिशु को डायरिया से होने वाले डिहाइड्रेशन से बचाया जा सकता है और माँ के दूध से मिली रोग प्रतिरोधक क्षमता न सिर्फ डायरिया बल्कि कई रोगो से बचा सकता है।  दस्त होने पर स्तनपान को बढ़ा देना चाहिए| अधिक से अधिक बार स्तनपान कराने से शिशु डिहाइड्रेशन से बचा रहता है एवं इससे डायरिया से बचाव भी होता है|

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