विश्व टीबी दिवस विशेष: “इन्वेस्ट टू एंड टीबी-सेव लायिव्स” होगी इस वर्ष की थीम
- रामजी गुप्ता, सहायक संपादक बिहार
- Mar 23, 2022
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पटना ।। हर वर्ष 24 मार्च विश्व यक्ष्मा दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस वर्ष के विश्व टीबी दिवस की थीम “इन्वेस्ट टू एंड टीबी-सेव लायिव्स” रखी गयी है. यह थीम सही अर्थों में तात्कालिकता को दर्शाता है और टीबी को खत्म करने के प्रयासों में निवेश करने की आवश्यकता का बोध कराता है. अधिक से अधिक टीबी रोगियों की पहचान एवं उनके ईलाज में सभी का सहयोग टीबी उन्मूलन का मूलमंत्र है. टीबी उन्मूलन अभियान को सफल बनाने में विभाग के कर्मियों के साथ साथ आम लोगों की सहभागिता अति आवश्यक है.
जिला में 17,192 टीबी के मरीज किये गए चिन्हित:
टीबी विभाग की जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रीति जोशी ने बताया कि पिछले वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक पटना जिले में 17,192 टीबी के मरीज चिन्हित किये गए हैं. इनमे सरकारी अस्पतालों में चिन्हित मरीजों की संख्या 3881 तथा निजी स्वास्थ्य संस्थानों में चिन्हित मरीजों की संख्या 13,311 है. प्रीति ने बताया कि इनमे से कुछ मरीज जिला से व्यक्तिगत कारणों से पलायन कर चुके हैं और अभी जिले में चिन्हित टीबी के मरीजों की कुल संख्या 15,824 है.
8538 लोगों को निश्चय पोषण योजना के तहत किया जा चुका है भुगतान:
प्रीति जोशी ने बताया कि चिन्हित मरीजों में से कुल 8538 लोगों को निश्चय पोषण योजना के तहत पोषण राशि का भुगतान किया जा चुका है. कुल 4,71,41,500 ( चार करोड़, इकहत्तर लाख, इकतालीस हजार, पांच सौ ) रुपये की राशि का भुगतान किया गया है. प्रीति ने बताया कि विभाग जल्द से जल्द सभी चिन्हित मरीजों के खाते में पोषण योजना के तहत राशि का भुगतान करने के लिए प्रयासरत है. ज्ञात हो कि टीबी मरीजों को निश्चय पोषण योजना के तहत हर महीने 500 रुपये की पोषण राशि के भुगतान का प्रावधान है.
टीबी उन्मूलन में जनभागादारी है जरूरी:
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. कुमारी गायत्री सिंह ने कहा विभाग वर्ष 2025 तक जिले को टीबी से मुक्त करने हेतु प्रतिबद्ध है। पहले के मुकाबले मृत्यु दर में काफी कमी आई है. उम्मीद है कि जल्द ही जिले में टीबी पर काबू पा लिया जायेगा. टीबी उन्मूलन में जनभागीदारी बहुत ही जरूरी है. अगर लोग सहयोग करें तो यह बीमारी समय से पहले खत्म हो सकती है. टीबी का लक्षण दिखे तो जांच अवश्य कराएँ. जांच में पुष्टि हो जाने के बाद आपको मुफ्त में दवा मिलेगी. साथ में भोजन के लिए भी पैसे मिलेंगे. जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की जांच और इलाज की व्यवस्था है. साधारण टीबी और एमडीआर टीबी दोनों में से किसी भी तरह के मरीज हों, अपनी दवाओं का नियमित सेवन करें. साधारण टीबी मरीजों की दवा छह महीने तथा एमडीआर की छह से 20 महीने तक चलती है.
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