सत्यगाथा


बदले- बदले साज हैं , बदले से हैं आज 

बदले बाबू इस कदर, बदल गये अंदाज 

बदल  गये अंदाज , बोलते  भाषा बागी 

भारत भाये कहा , पाक कें  हैं अनुरागी 

कह बृजेश कविराय गुरु ठोकी ये ताली 

शर्म हया सब बेच शुरू कर दिये दलाली 

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