सत्यगाथा


मनमर्जी क़ा बोल रहें , इतना बड़ा गुरूर 

गधा मूत्र कें पान से ,  लगता चढ़ा सुरूर 

लगता  चढ़ा सुरूर , तुम्हारी हैं मति मारी 

तुम्हे अवध से क्या हैं तुम तॊ रोम पुजारी 

कह बृजेश अब दोगले ,करने लगे कुतर्क 

असली  नकली हिंदू मे , बता रहें हैं फर्क 


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