आर्थिक रूप से कमजोर अभिभावकों के बीमार नवजातों के लिए वरदान है एसएनसीयू

- नवजात शिशु की इलाज के लिए निजी अस्पतालों और संस्थानों के भरोसे नहीं रहते हैं अभिभावक

- चिकित्सकों व प्रशिक्षित नर्सों की देखरेख में प्रतिमाह औसतन 50 शिशुओं का होता है इलाज

बक्सर ।। जिले में नवजात शिशुओं की मृत्युदर को कम करने के लिये विभिन्न सेवाएं और सुविधाएं बहाल हैं। इन्हीं, सेवाओं में से एक है स्पेशल न्यू बॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू)। जिसकी बदौलत जिले में गंभीर स्थिति में जन्मे सैंकड़ों नवजात शिशुओं की जान बचाई जा सकी है। एसएनसीयू की स्थापना से पूर्व नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए इस प्रकार की सरकारी चिकित्सा सुविधा नहीं थी। लेकिन, अब नवजात शिशुओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलना मुनासिब हो रहा है। वहीं, इसके माध्यम से गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को नवजात शिशु की इलाज के लिए निजी अस्पतालों और संस्थानों के भरोसे नहीं रहना पड़ रहा है। 

नवजात शिशुओं की सुरक्षा के मामलों में परिदृश्य बदला :

सदर अस्पताल के उपाधीक्षक सह एसएनसीयू के प्रभारी डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने कहा, एसएनसीयू की स्थापना के बाद नवजात शिशुओं की सुरक्षा के मामलों में परिदृश्य बदल रहा है। साथ ही, पूर्व की अपेक्षा अब निजी अस्पतालों पर निर्भरता कम हो रही है। एसएनसीयू में प्रसव के बाद पीलिया, हाइपोथर्मिया, कोल्ड शॉक, सांस की तकलीफ, वजन कम (कमजोर) समेत अन्य बीमारी से ग्रसित नवजातों को भर्ती कर नि:शुल्क उपचार व दवाइयां उपलब्ध कराई जाती है। जहां पर नवजात बच्चों का उनकी बीमारी के आधार पर एक से 28 दिनों तक इलाज किया जाता है। उन्होंने बताया, एसएनसीयू के शुरू होने के बाद से अब बड़ी संख्या में लोग प्रसव के बाद बीमारी से ग्रसित या कमजोर शिशुओं को यहां भर्ती करा रहे हैं। प्रतिमाह औसतन 50 शिशु इस यूनिट में भर्ती किए जा रहे हैं।

नवजात का 24 से 48 घंटे तक विशेष निगरानी में रहना जरूरी: 

डॉ. रवि भूषण श्रीवास्तव ने कहा, लोगों में अभी जागरूकता का अभाव है। कई लोग नवजात की बीमारी से परेशान होकर इधर-उधर भटक कर अपना व अपने नवजात को नुकसान पहुंचाते हैं। जबकि एसएनसीयू में सारी सेवाएं नि:शुल्क हैं। इलाजरत नवजात के माता पिता को थोड़ा धैर्य रखने की जरूरत है। बीमार नवजात को प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक की देखरेख में 24 से 48 घंटे तक विशेष चिकित्सकीय देखरेख में रखा जाता है। साथ ही, बच्चों की हालत पर पूरी निगरानी रखी जाती है। इसके अलावा नवजात के स्वस्थ्य शरीर निर्माण को लेकर इलाज के पश्चात की जाने वाली आवश्यक देखरेख की भी जानकारी नवजात के परिजनों को दी जाती और उचित देखरेख के लिए प्रेरित भी किया जाता है।

ये सुविधाएं हैं उपलब्ध :

- शिशुओं को गरम रखने के लिए रेडियेंट वार्मर

- अल्ट्रावायलट लाइट के लिए फोटो थैरेपी यूनिट

- नवजातों के एक्सरे के लिए प्रोटेबल एक्स-रे यूनिट

- नवजातों को ऑक्सीजन देने के लिए आक्सीजन यूनिट

ऐसे नवजात एसएनसीयू में होते हैं भर्ती: 

- 1800 ग्राम या इससे कम वजन के नवजात 

- गर्भावस्था के 34 सप्ताह से पूर्व जन्में बच्चे 

- जन्म के समय गंभीर रोग से पीड़ित नवजात (पीलिया या कोई अन्य गंभीर रोग)

- जन्म के समय नवजात को गंभीर श्वसन समस्या (बर्थ एक्स्फिसिया)

- हाइपोथर्मिया 

- नवजात में रक्तस्राव का होना 

- जन्म से ही नवजात को कोई डिफेक्टस होना

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