नवरात्रि के पहले दिन भारी तादाद में श्रद्धालुओं ने देवी धाम बसौली में लगाई आस्था की डुबकी

 सुईथाकला- जनपद के पश्चिमांचल में स्थित  शीतला मां का मंदिर जो देवी धाम बसौली के नाम से प्रसिद्ध है जिस मंदिर के रहस्यों की गाथा  लोग गाते नहीं थकते हैं। जिस मंदिर के अस्तित्व के बारे में कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है बल्कि इसे आदिकाल से अस्तित्व  में होने की बात करते हैं वह है देवी धाम बसौली का शीतला माता का मंदिर। नवरात्रि के पहले दिन भारी तादाद में श्रद्धालुओं ने देवी धाम बसौली में आस्था की डुबकी लगाई। माता रानी के भक्तों और श्रद्धालुओं में भक्ति के रंग का असर पूरी तरह से दिखाई दे रहा था। जगह जगह पूजा पाठ से संबंधित दुकाने सजी हुई थी तो मिठाईयां  फलों आदि की दुकानें भी सजी हुई थी। मंदिर के पुजारी पं. रमेश तिवारी ने बताया कि आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि प्रारंभ होते हैं। नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए व्रत या उपवास भी करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा की विधि-विधान के साथ पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।26 सितंबर 2022 से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है। मां शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री की पूजा अर्चना की जाती है।ऐसा करने से रोगों का नाश होता है और हर संकट से मां हमें बचाती है। इस दिन माता को गाय के घी से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए।


उन्होंने कहा कि मां की कृपा और महिमा अपरंपार है जिसकी थाह लगाना  देवी देवताओं के बस की भी बात नहीं है तो मनुष्य क्या अनुमान लगा सकता है? उन्होंने कहा कि आदिशक्ति जगत जननी के चरणों में ही वास्तविक सुख और शांति है। पुजारी ने बताया कि मनुष्य का आत्मिक कल्याण तभी होगा जब वह मां के चरणों में निष्काम भाव से समर्पित होकर भक्ति करते हुए इनसे अपनी आत्मा का नाता जोड़ेगा। उन्होंने निर्माणाधीन भव्य मंदिर में बढ़-चढ़कर सहयोग करने की अपील की जिससे आने वाले दिनों में मंदिर का एक सुंदर नजारा देखने को मिले ताकि मंदिर परिसर में किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना किसी को न करना पड़े।

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