भगवान राम के आदर्शों पर चलने की अटूट एवं महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी मानस मणि प्रतियोगिता- डॉ. उमेश चन्द्र तिवारी

सुईथाकला ।। तिलक स्मारक इंटर कॉलेज अमावाखुर्द में  राम मित्र मंडल ईशापुर द्वारा मानस मणि संधान प्रतियोगिता भाग -एक आयोजित हुई।इस प्रतियोगिता में बच्चों से लेकर बुजुर्गों ने भी प्रतिभाग किया जिसमें सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक,शिक्षकों  सहित तमाम छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। बतौर मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि एवं एस.वी.डी. गुरुकुल महाविद्यालय दुमदुमा, ऊंचगांव, जौनपुर के प्रबंधक डॉ. उमेश चन्द्र तिवारी 'गुरुजी' ने प्रतियोगिता की भूरि- भूरि प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि यह प्रतियोगिता मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी के आदर्शों पर चलने हेतु समाज के प्रत्येक वर्ग के नागरिकों के लिए एक अटूट और महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगी।ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि ने इसे आयोजकों की एक बेहतर पहल बताया। उन्होंने कहा कि आधुनिक युवा पीढ़ी पर पश्चिमी सभ्यता के नकारात्मक प्रभाव को कम करने तथा भारत की सनातन परंपरा एवं वैदिक ज्ञान विज्ञान की  के महत्व को बताने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।उन्होंने कहा कि श्री रामचरितमानस में उद्धृत चौपाइयों के अर्थ और ज्ञान  के सूक्ष्म तत्वों का अध्ययन करके प्रश्नोत्तरी में छोटे बड़े बुजुर्गों ने हिस्सा लिया जो बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि इससे मानव जीवन के परम लक्ष्य भक्ति एवं मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होगा।आज के समय में वाद्य यंत्रों के माध्यम से जगह-जगह लयबद्ध तरीके से श्रीरामचरितमानस के गायन पर उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि लोग गीत संगीत और धुन को सुनकर झूमते जरूर हैं लेकिन उसका अर्थ नहीं समझते जिससे गोस्वामी तुलसीदास जी का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता है। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी एवं आम जनमानस भगवान राम की मर्यादाओं से सीख लेगी । समाज में जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त करेंगे कि वह एक राजा,पति ,पुत्र और पिता की भूमिका किस प्रकार से निभाते थे।

पूर्व प्रधानाचार्य आरपी सिंह ने कहा कि आत्मा रूपी मणि हमारे अंदर ही विद्यमान है जिससे पूरा  ब्रह्मांड प्रकाशित होता है।उन्होंने कहा कि  यह प्रतियोगिता ईश्वर को जानने और पहचानने के प्रति जिज्ञासा को और अधिक बढ़ाकर ईश्वर के निकट पहुंचने का माध्यम बनेगी। पटना विश्वविद्यालय में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर एवं वैज्ञानिक डॉ दुष्यंत कुमार यादव ने बताया कि समाज के नागरिकों में एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण एवं सकारात्मक सोच की भावना जागृत होगी।उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे आयोजन करके नव युवकों में विज्ञान के प्रति समझ विकसित होगी जिससे हमारा देश के विकास के नए कीर्तिमान स्थापित होंगे।

मुख्य आयोजक डॉ सर्वेश कुमार मिश्र ने बताया कि इस प्रतियोगिता का मूल मंत्र है कि विदेशों में हुए आविष्कार भारत के ज्ञान- विज्ञान एवं दर्शन से जुड़े हुए हैं जो हमारी ही विज्ञान की परंपरा पर आधारित हैं।उन्होंने प्राचीन भारत की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऋषियों- मुनियों का ज्ञान- विज्ञान और अध्यात्म की जो पराकाष्ठा थी आज पूरा विश्व वहां तक नहीं पहुंचा है।मौके पर प्रबंधक सुरेंद्र बहादुर सिंह, प्रधानाचार्य दिनेश कुमार यादव, डॉ ठाकुर प्रसाद तिवारी ,दीपेंद्र प्रताप सिंह, पूर्व प्रधान बबलू श्रीवास्तव, चंदन सिंह ,अजय प्रताप सिंह, बृजेश कुमार सिंह, देवी प्रसाद सिंह, प्रवीण कुमार यादव आदि लोग उपस्थित रहे।

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