क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन परमार्थ का कार्य: स्वामी चिन्मयानंद बापू

स्वामी चिन्मयानंद बापू के श्रीमद् भागवत कथा में दिखा ज्ञान भक्ति एवं वैराग्य का अद्भुत समन्वय

स्वामी चिन्मयानंद बापू जी द्वारा राज्यमंत्री गिरीश चंद्र यादव,बदलापुर व शाहगंज के विधायक,जिलाध्यक्ष ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि  आदि स्मृति  चिन्ह भेंट करके किए गए सम्मानित


सुईथाकला। विकासखंड क्षेत्र के बदलापुर विधायक रमेशचंद्र मिश्र के पैत्रिक गाँव स्थित अर्सियां बाजार में आयोजित सप्त दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का शुभारंभ अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक चिन्मयानंद बापू जी महाराज ने किया।सर्वप्रथम आरती प्रस्तुत की गई तत्पश्चात बदलापुर विधायक के परिजनों,शाहगंज विधायक रमेश सिंह द्वारा माल्यार्पण कर भव्य स्वागत किया गया। भागवत कथा के पहले दिन बापूजी ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि गंगा अपने आप नहीं निकलती है बल्कि उसे लाने के लिए भगीरथ की जरूरत पड़ती है। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के आत्मिक कल्याण और मोक्ष की तरफ मार्ग प्रशस्त करने के लिए बदलापुर विधायक  भगीरथ साबित हो रहे हैं। अपने संबोधन में बताया कि  आध्यात्मिक दृष्टि से वही मां पुत्रवती होती है जिसका पुत्र भगवत भक्ति से युक्त हो।अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि बदलापुर में भागवत कथा आयोजित न करके  बिना किसी स्वार्थ भेदभाव के उन्होंने क्षेत्र के नागरिकों के लोक परलोक को संवारने का कार्य अत्यंत सराहनीय है।


 उन्होंने यह साबित कर दिया कि  मातृभूमि और जननी सबसे महान होती है। उन्होंने भक्तजनों और क्षेत्रीय लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि जन्म -जन्मांतर के  लाखों-करोड़ों पुण्य संचित होने पर ही जीवन में भगवत भक्ति का  अंकुर फूटता है । उन्होंने कहा कि कथा सुनने वही आता है जिस पर भगवत कृपा होती है। कई जन्मों के कर्म से भाग्य बनता है और फिर भाग्योदय होता है। ईश्वर की असीम कृपा होने पर परमात्मा के चरणों में प्रेम होता है। श्रीमद्भागवत के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रामायण जीवन का दर्शन कराती है किंतु श्रीमद् भागवत महापुराण जीवन के भविष्य का दर्शन कराता है। मनुष्य का जन्म देवताओं की अपेक्षा श्रेष्ठ होता है क्योंकि देवताओं को केवल अमृत सुलभ होता है। मनुष्य तन में भगवान की कथा सुनने का अवसर प्राप्त होता है ।इसके लिए देवताओं को भी मनुष्य शरीर में धरती पर जन्म लेना पड़ता है। जो मनुष्य को आवागमन के बंधन से छुटकारा दिलाती है वही भागवत है ।


उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण को वेदों और उपनिषदों का सार बताया। ईश्वर की कथा में वहीं पहुंच पाते हैं जिनको वह स्वयं बुलाता है। जीवन दर्शन  के महत्व प्रकट करते हुए उन्होंने कहा कि जिन्हें संसार की नश्वरता का ज्ञान हो जाए वह मोक्ष पाने के अधिकारी हैं। ईश्वर भूत ,भविष्य एवं वर्तमान  में विद्यमान रहते हैं।प्रभु का दिव्य ज्ञान ही  मनुष्य की दैहिक दैविक भौतिक तीनों तापों से मुक्ति दिलाता है। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने माता यशोदा और देवकी से पहले वही गति पूतना को प्रदान की जो बाद में अपनी माताओं को दी। मानव जन्म का चरम लक्ष्य भोग नहीं बल्कि ईश्वर का ज्ञान प्राप्त करना है। चिन्मयानंद बापू जी महाराज द्वारा गिरीश चंद्र यादव राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार खेल एवं युवा कल्याण, पुष्पराज सिंह जिलाध्यक्ष भाजपा,सुशील मिश्रा जिला महामंत्री, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि डॉ. उमेश चन्द्र तिवारी गुरुजी,धनंजय सिंह डीसीएफ चेयरमैन प्रबुद्ध दुबे ,सभी मंडल अध्यक्ष आदि लोगों को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया।

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