नवरात्रि के प्रथम दिन देवी धाम बसौली में भक्तों और श्रद्धालुओं ने मंदिर के चौखट पर टेका मत्था

शाहगंज।माता रानी को निर्मल मन वाला मनुष्य सबसे अधिक प्रिय है।जिस व्यक्ति के हृदय में किसी भी प्रकार का छल- प्रपंच, ईर्ष्या - द्वेष,अहंकार,अमीर -गरीब, ऊँच- नीच,भेदभाव,पर- निन्दा, दिखावा आदि न हो वही व्यक्ति माता जी के हृदय में बसते हैं।उपरोक्त विचार देवी धाम बसौली के पुजारी पं.रमेश तिवारी ने नवरात्रि के प्रथम दिन पर अपने हृदय के उद्गार व्यक्त करते हुए कहे।उन्होंने बताया कि जो समस्त चराचर में मातृशक्ति के अद्भुत, दिव्य ,अलौकिक सर्वव्यापी और निराकार ज्योति का दर्शन करके समस्त राग द्वेष से परे होकर समस्त प्राणियों से प्रेम करता है वह ईश्वर के सर्वाधिक निकट होता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मनुष्यों का प्रेम  माँ के चरणों में  निःस्वार्थ होता है और उनके घर परिवार में धन-धान्य और किसी भी प्रकार की कमी नहीं होती है। ऐसे सुंदर भाव से युक्त होकर जो भी इंसान माता जी के चरणों में शीश झुकाता है उसकी सारी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं,इसमें  लेश मात्र भी संदेह नहीं है।


पुजारी ने बताया कि 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इस दौरान घटस्थापना होती है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि के पहले दिन मां के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना होती है। मां शैलपुत्री हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।मान्यता है कि माता शैलपुत्री की पूजा करने से सूर्य संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। मां शैलपुत्री को गाय के शुद्ध घी का भोग लगाना चाहिए। मंदिर के अलौकिक रहस्य के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि मंदिर के टूटने से पहले सामने वाले गुंबद पर  1804 ई. लिखा था किंतु फिर भी मंदिर की उत्पत्ति रहस्य का विषय  है।


 जिसके बारे में आज तक किसी को कुछ भी ज्ञात नहीं है।14  कोस की कुलदेवी होने के कारण यहां मुंडन संस्कार ,वैवाहिक कार्यक्रम से संबंधित तमाम अनुष्ठान होते रहते हैं।इस मंदिर का पूरे क्षेत्र में एक अपना अलग धार्मिक और पौराणिक महत्व है। देवी धाम बसौली की शीतला माता का जिक्र शास्त्रों में भी है जिसका वर्णन बेसीवती के नाम से मिलता है।माँ के चौखट पर जो भी  मनोकामना के साथ  अपना मत्था  टेकता है उसकी सारी अभिलाषाएं मां अवश्य पूरी करती हैं। 


उन्होंने बताया कि  भव्य मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है जिसे अत्यंत सुंदर रूप दिया जा रहा है। यह मंदिर करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित हो रहा है जिसमें भक्तगण बढ़-चढ़कर मां के चरणों में अपनी श्रद्धा और  सामर्थ्य के अनुसार  बढ़ चढ़कर सेवा कर रहे हैं । उन्होंने माता जी का कृपा पात्र बनने के लिए आम जनमानस और भक्तों श्रद्धालुओं से सहयोग करने की अपील की है ।जौनपुर जनपद मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर पश्चिमांचल में  सुल्तानपुर जनपद की सीमा पर   स्थित,प्रसिद्ध,ऐतिहासिक ,पौराणिक, धार्मिक,कालनेमि की वधस्थली  बाबा बजरंगबली का पावन धाम विजेथुआ महावीरन के पास  सुइथाकला  विकासखंड क्षेत्र अंतर्गत बसौली स्थित देवी धाम बसौली शीतला माता का मंदिर देवी धाम बसौली के नाम से 14 कोस में  विख्यात है।नवरात्रि के प्रथम दिन मंदिर में श्रद्धालुओं और भक्तों ने  दर्शन पूजन करके अपनी श्रद्धा और आस्था प्रकट की। यहां प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र के 9 दिन तक मां के भक्तों की भारी भीड़ लगती है जो दूर-दूर  के विभिन्न जनपदों से  दर्शन करने के लिए आते हैं।नवरात्रि के समय यहां जिनकी मन्नते पूरी होती हैं वह यहां कथा भी सुनते हैं और कड़ाही भी चढ़ाते हैं । 9 दिन तक  भारी मेले का आयोजन होता है ।

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