
भारतीय न्यायपालिका की लचर व्यवस्था के कारण करोड़ो नागरिक न्याय से वंचित
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Jun 14, 2024
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दुर्गावती संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय
दुर्गावती । हमारे देश में न्यायपालिका के लचर व्यवस्था के कारण लंबे समय के इंतजार के बाद भी आम नागरिक न्याय से वंचित रह जता है। इस देश में कमजोरों का सहारा एक मात्र न्यायपालिका ही तो थी लेकिन आज के परिवेश में न्यायालय से न्याय पाना नामुमकिन दिखाई दे रहा है। निचले अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का सफर आसान नहीं रह गया है। इस देश में न्यायिक सिस्टम से न्याय पाने में कई वर्षो गुजर जाते हैं यही नहीं कुछ लोग तो अपने जीवन काल में न्याय को देख ही नहीं पाते और काल के गाल में समा जाते हैं। कहीं कहीं तो न्याय में देरी होने के कारण एक अपराधी भारतीय राजनीति में कदम रखकर विधान सभा से लेकर संसद तक का सफर तय कर लेता है और अपने रसूको के चलते दोष से बारी हो जाता है। यही नहीं यदि उसके रास्ते में कोई अदालत का गवाह आने की कोसिस करता है तो उन रसुक दारो के द्वारा उसे हटाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होती और वह गवाहों के अभाव में केश जीत जाता है।देश में न्याय के लिए न्यायपालिका से अलग चकबंदी विभाग कोर्ट एसडीएम कोर्ट डीसीएलआर कोर्ट डीएम कोर्ट बना लेकिन वहा भी लंबे समय से मुकदमा लंबित पड़े हैं। अपराधिक गतिविधियों में फंसे व्यक्ति जब साक्ष्य के अभाव में जेल से बाहर आता है तो उनके न्याय के लिए उनकी अवधि जो जेल में बीती आखिरकार उसका जिम्मेदार कौन माना जाएगा आखिरकार व्यक्ति को अपने हरासित जीवन के साथ समझौता करना पड़ता है। आज जहां देखो न्यायालयों में न्याय के लिए चक्कर लगाते लोग मिल जाएंगे। व्यक्ति सुबह से खा पीकर न्यायालय में 4:00 बजे तक इंतजार करता है और बदले में उसे मिलती है तारीख और दिनभर इंतजार के बाद वापस घर पर आकर मायूस हो जाता है। महंगे वकीलों के कारण सुप्रीम कोर्ट तो अब जाना आम जनता के लिए संभव नहीं लगता क्योंकि सुप्रीम कोर्ट तो अब नेताओं व्यापारियों और माफियायो कि न्यायपालिका बनकर रह गई है।
राजनीतिक संगठन तो किसान आंदोलन चला रहा है तो कोई सामाजिक समिति बनाकर देश सेवा करने का दिखाव कर रहा है और उसी की छत्रछाया में लोकतंत्र में पहुंचने की सीढ़ी बनाकर संसद में भी पहुंच जा रहा है। यदि न्यायालयो में दायर मुकदमे की गिनती की जाए तो करोड़ से कम नहीं होगा और उतने ही मुकदमे न्यायालय में लंबित पड़े होंगे जिसकी फाइलें आज तक नहीं खुल पाई। देश में भूमि विवाद और पैसे की हवस में अपराधिक गतिविधियों के माध्यम से कमाने की होड़ मची है यदि न्यायालय में न्याय प्रणाली निर्धारित समय में फैसला देती तो देश में अपराधी गतिविधियां और भूमि संबंधी विबाद को लेकर बढ़ते अपराध से मुक्ति मिल जाती लेकिन सरकार ऐसा नहीं करती। इसके लिए भारतीय राजनेताओं को संसद में बैठ कर न्याय प्रक्रिया को चुस्त दुरुस्त करने के लिए कानून बनाकर देश में लागू करना चाहिए ताकि भारतीय नागरिकों को कम समय में न्याय मिल सके और देश में बढ़ते अपराध पर अंकुश लगाया जा सके। कमजोर राजनीतिक इच्छा और कमजोर न्यायिक प्रक्रिया होने के कारण देश में कई अलगाववादी संगठन बन गए हैं और अपना काम कर रहे हैं जिसके कारण देश कमजोर और खोखला बनते जा रहा है। इस चिर निद्रा से कब जागेगी सरकार यह जनता को समझ में नहीं आ रहा है की कब मिलेगा फास्ट न्यायालय की सुविधा जिसके माध्यम से जनता को आसानी से कम समय में न्याय मिल सके और वर्षो तक तरसना न पड़े न्याय के लिए।
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