
सत्ता सुख के लिए आईएस और आईपीएस भी राजनीति में सक्रिय
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Aug 27, 2024
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श्याम सुंदर पांडेय संवाददाता
दुर्गावती(कैमूर)--राजनेताओं के चका चौध को देखकर राजनीति में अब आईएस और आईपीएस भी दिलचस्पी रखने लगे है। क्षेत्र में आने के बाद अपने राजनीतिक संबोधन में देश की सेवा का दंभ भरते हैं क्या उन्हें जनता की सेवा का मौका अधिकारी के रूप में नहीं मिला था यदि मिला था तो सेवा क्यों नहीं की क्या वह जनता की और देश की सेवा नहीं है ।रही बात ऊपरी आमदनी का तो वहां रहकर भी कितने अधिकारी माल मारकर अरबपति और करोड़पति बन चुके हैं। लेकिन जो हाव भाव और सुख सुविधा राजनेताओं को मिला है उसे देखकर राजनेताओं के नजदीक रहने वाले और दूर रहने वाले अधिकारीयो के मुंह से लार टपकने लगता हैं और वे भी देश की सेवा के नाम पर अपना पद छोड़कर राजनीति में आजाते है और नेताओं के आका के यहां दरबार लगना शुरू कर देते हैं। आज के राजनीति में राजनेताओं के शर्त को पूरी कर मैदान में उतर जाते हैं और फिर शुरू होता है राजनीति का खेल। राजनीति में बैठे दर्री और पोस्टर लगाने वाले कार्यकर्ता उदास मन से फिर अपने आकाओं के निर्देश का पालन करते हुए उनके साथ जुड़ जाते हैं। यही नहीं जब टिकट नहीं मिलता तो आए किसी पार्टी के नाम पर फिर काम करने लगे किसी के लिए ऐसे भी अधिकारीयो को जनता ने देखा जो किसी को जीताने के लिए बी टीम के रूप में काम किए और आज भी कई लोग कर रहे हैं क्या आम नागरिकों को इसे नहीं समझना चाहिए। जब एक नेता अपनी पार्टी से और असंतुष्ट होता है तो दूसरी पार्टियों में चला जाता है और फिर दूसरी पार्टी के कार्यकर्ता भी उदास हो जाते हैं और उनकी सेवा में जुड़ जाते हैं क्या ऐसे राजनेताओं और नेता के रूप में आए अधिकारियों का सम्मान जनता को करना चाहिए। जब मैदान में उम्मीदवार आता है तो जनता उनसे एक सवाल भी नहीं कर पाती क्या आपने पार्टी को क्यों बदला और वर्षो तक जिस पार्टी में रहे तो फिर क्यों आए। जिसका चेहरा लूट खसोटऔर धोखा देने में बीता हो तो क्या वह दूसरे पार्टियों में आकर जनता के साथ पारदर्शिता रख सकता है जनता यह भी पूछना नहीं मुनासिब समझती कि अधिकारियों के रूप में रहकर सेवा करने का जो मौका आपको मिला था उस सेवा को छोड़कर क्यों राजनीति में जनता की सेवा के लिए आए क्या वहा रहकर जनता की सेवा क्यों नही की। जनता को यह समझना चाहिए कि भेस बदलकर रावण की तरह आने वाला यह व्यक्ति कभी समाज का कल्याण नहीं कर सकता। जो अधिकारी वर्ग अधिकारी रहते हुए समाज के दीन दुखियों की सेवा नहीं कर सका तो वह देश की सेवा क्या करेंगा। आज की परिवेश में क्षेत्रीय पार्टियों बंश वादी और जातिवादी पार्टियां गठबंधन करके देश के शीर्ष कुर्सी पर पहुंचने का काम कर रही हैं क्या इसे देखकर के भी जानता नहीं समझ पाती तो जनता से मूर्ख और अंधा कौन है। आज के परिवेश में अपने सुख सुविधा लिए संसद में या राज्य सरकार के विधानसभा में जो विधेयक आता है उसे ध्वनि मत से पारित कर लेते हैं और देश की जनता जान भी नहीं पाती है ऐसे लोगो को गद्दार कहना अनुचित होगा देश का। अपनी सुख सुविधा को बढ़ाने के लिए जनता से ये नेता क्यों नहीं पूछते क्या मैं आप लोगों के पैसे से सुख सुविधा ले सकता हु क्या इस पर आम जनता से पूछना जरूरी नहीं है तो कम से कम मतदान कराते इन मुद्दों पर।बंधुओ इन सब सारी सुविधाओं को देखकर अधिकारियों के मुंह में लार टपकना तो स्वाभाविक है और उसी क्रम में कई अधिकारी राजनीति में आचुके है और आने के लिए लालायित है और बात कर रहे हैं देश सेवा की। जिसने कभी गांव की गलियों में धूमा नहीं न गांव के गरीबी को देखा वह बिहार को और देश को बदलने की बात आज बात कर रहा है इसे जनता को यह समझने की जरूरत है।
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