अपडेट किए गए रजिस्टर 2 का पूर्ण रूप से सुधार भी नही हो पाया की सर्वे का काम शुरू

 संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती(कैमूर)- बिहार सरकार के द्वारा जनता की जमीन और सरकारी जमीन के दस्तावेज को ऑनलाइन कर दिया गया लेकिन उसमें जो अशुद्धियां थी उसका सुधार भी पूर्ण रूप से नहीं हो पाया, की बिहार सरकार के आदेश के बाद सर्वे काम शुरू कर दिया गया। सरकार के द्वारा सरकारी जमीन को ऑनलाइन करते समय दस्तावेज में आम जनता की माने तो  किसी के जमीन का खाता नंबर सही नहीं है, तो किसी का प्लांट नंबर सही नहीं है। किसानों के द्वारा दिए गए आवेदन के बाद परिमार्जन के द्वारा कुछ अशुद्धियां दूर हुई तो कुछ  अशुद्धियों को दूर करने में कर्मचारी आना-कानी करते रहे, जिसका नतीजा रहा की आज तक पूर्ण रूप से ऑनलाइन किए गए जनता की जमीन का दस्तावेज पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं हो पाया। किसी किसी गांव का चकबंदी के द्वारा जमीन का चकबंदी करके मौजा संपुष्ट कर दिया गया है लेकिन आज तक न उन किसानों को नक्शा मिला न खतियान लेकिन सरकार के द्वारा जमीन का लगान सरकारी रेट से आज भी लिया जा रहा है। 34 वर्षों से बंद चकबंदी विभाग को नीतीश सरकार में चालू किया गया तो वह भी आंशिक रूप से न ऑफिस में पूर्ण रूप से कर्मचारी हैं न कोई कार्य प्रगति पर है। सर्वे विभाग के द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है लेकिन एक कर्मचारी के जिम्मे 10 से 15 गांव दे दिए गए हैं, जिससे कर्मचारी भी उलझन में है और जनता भी। यदि सरकार द्वारा सर्वे करना ही है तो एक गांव में कम से कम पांच कर्मचारी एक सप्ताह कैंप करके किसानो की जमीन को उनके दस्तावेज के द्वारा देखकर कंप्यूटर में लोड कर देते तो कितनी अच्छी बातें होती। सरकार के द्वारा  अपलोड किए गए सरकारी दस्तावेज यदि मूल रूप से सही होते तो किसानों के जमीन का सर्वे करते समय वह रामबाण की तरफ सहायक होते, जिससे सर्वे कर रहे कर्मचारियों को आसानी होती है। सर्वे विभाग के द्वारा सारे युवाओं को लाकर सर्वे के काम में लगा दिया गया है, लेकिन उनकी देखरेख में एक भी अनुभवी उम्र के कर्मचारियों को नहीं रखा गया है जिससे अनेकों समस्या उत्पन्न हो रही है। अब देखना यह है कि चुनावी रणनीति के लिए सर्वे के काम वीणा जो नीतीश सरकार ने उठाया है उससे चुनाव में कितना फायदा होता है।

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