तुष्टिकरण और सनातन के विरोध का जादू हुआ फेल

 संवाददाता श्याम सुंदर पांडेय की रिपोर्ट 

दुर्गावती (कैमूर)-- हरियाणा चुनाव में विपक्ष का तुष्टिकरण और सनातन विरोध की जो राजनीति रही है बिल्कुल नाकामयाब रही। जनता अब यह समझ चुकी है कि इस तरह की राजनीति करके हमें केवल भरमाया जा रहा है इससे न देश का फायदा होने वाला है न संस्कृति की रक्षा। जिसके परिणाम स्वरूप भारी मात्रा में बढ़ चढ़कर के मतदाताओं ने मताधिकार का अपने प्रयोग किया जिसका परिणाम रहा की हरियाणा में भाजपा की जीत हुई। अब जनता भारत की आर्थिक जीडीपी सामरिक  शक्ति के रूप में उभरते हुए भारत को देखकर अपने हित और अहित की बात समझ रही है। एक समय था जब बिहार में भूरा बाल साफ करो के नारे लगाए गए जिसके परिणाम स्वरूप बिहार नरसंहार की आग में जलने लगा नफरत की आग ऐसा फैला की एक दूसरे से लोग जलने लगे और एक दूसरे के समानांतर सेनाएं बना ली गई जिसका अंत हुआ सरकार बदलने के बाद तुष्टि करण की राजनीति ने समाज को ऐसे बिखेर दिया ताकि एक दूसरे से लोग घृणा करने लगे। धार्मिक टिप्पणियों ने तो सारी हदों को पार कर दिया यहां तक की सनातन धर्म के प्रमुख मंदिर राम जन्मभूमि के कार सेवकों पर गोली चलाकर तुष्टिकरण की सारी सीमाएं लांघ दी गई। इतने से भी जब जी नहीं भरा तो देश के प्रमुख आतंकवादियों के मुकदमे को वापस लेने का भी अभियान शुरू कर दिया गया। परिवारवाद को जात बाद में बदलकर अपनी जाति को केवल वोटर बनाकर छोड़ दिया गया लगता है उनमें कोई काबिलियत नेता बनने की ही नहीं है। जनता अब झासो में आने वाली नहीं है वह अपने हित और अहित की पहचान कर भारत के सम्मान के लिए एक हो रही है जो राष्ट्र के प्रगति का एक संकेत है।

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