
मां मुंडेश्वरी की महीमा
- कुमार चन्द्र भुषण तिवारी, ब्यूरो चीफ कैमूर
- Oct 10, 2024
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भगवानपुर संवाददाता गोल्डन पाण्डेय
कैमुर- पवरा पहाड़ी पर स्थित मां मुंडेश्वरी के दरबार में अहिंसक बली प्रथा हैं। यहां बकरा तों मां को चढ़ाया जाता है लेकिन मां अपनी मर्जी के अनुसार बली लेतीं है।यानि मां के आशिर्वाद मात्र से ही बकरे की बली होती है। यहां के पुजारी मां के चरणों में बकरे को उठाकर लेटा देते हैं, फिर अछत और फुल मां से स्पर्श कर बकरे पर छोड़ दिया जाता है बकरा कुछ समय के लिए अचेत अवस्था में हो जाता है, फिर दुबारा फुल और अक्षत मां मुंडेश्वरी से स्पर्श कर बकरे पर छोड़ा जाता है बकरा उठ खड़ा हो जाता है।यह मां का महीमा है। यहां मां मुंडेश्वरी देबी का दर्शन करने देश ही नहीं विदेशों से लोग आते हैं और अपनी मनोकामना पूर्ण करने की आशीर्वाद मांगते हैं। आशीर्वाद पुरा होने पर लोग बकरा बली और नारियल बली देते हैं। यहां मां को चुनरी और नारियल मां का असली प्रसाद माना जाता है। यहा के मंदिर और मूर्ति के बारे में आज तक कोई नही जान सका।कब बना मंदिर कब बनी मुर्ती ।कहा जाता है कि जब चण्ड और मुण्ड नामक राक्षस का वद्ध की थी तब से ही उसी पर्बत पर मुण्ड नामक राक्षस का वद्ध की थी उसी समय से मां का नाम मां मुंडेश्वरी नाम प्रसिद्ध हुआ है। मां महीमा अपरम्पार है।जो दरबार में आया खाली हाथ नही लौटा। जय मां मुंडेश्वरी। मां का दरबार एक अदभुत स्थल, धार्मिक स्थल और रमणीक स्थान है। जहां जानें के लिए लोग लालायित रहते हैं।
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