उड़न खटोला से पहुंच राष्ट्र नीति की बात ना कर जातिवादी नेता कुदे है मैदान में- स्वतंत्र कलमकार

जिला संवाददाता संदीप कुमार की रिपोर्ट 

कैमूर-- उपचुनाव रामगढ़ विधानसभा के प्रचार का आखिरी दिन 11 तारीख के साथ समाप्ति होगा।इसी बीच अपने-अपने नेताओं के टोली के साथ प्रचार करने आ रहे  खटोलो से नेता मतदाताओं को लुभाने के लिए डोरे डाल रहे हैं। उक्त बातें स्वतंत्र स्वतंत्र कलमकार श्याम सुंदर पांडेय के द्वारा उपचुनाव में राजनेताओं की स्थिति को देखते हुए कहा गया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र नीति की बात नहीं करके जातीय मुद्दों को ध्यान में रखते हुए जाति के नेता भी मैदान में कूद चुके है। न स्कूल बनाने की बात न आईटी सेक्टर की यूनिवर्सिटी न रोजगार न आरक्षण जैसी सुरसा की चर्चा न हीं मेडिकल कॉलेज और न कोई बड़ा हॉस्पिटल की बात कर रहे है। बाहर जाने वाले मजदूरों की तो बात सब करते हैं लेकिन योग्यता प्राप्त बच्चों का क्या होगा उसको किस दायरे में रखा जाएगा इसकी बात कोई नहीं करता। कल कारखाने कब से लगना शुरू होगे, सिंचाई के लिए नए नहरों का निर्माण जिले में चल रहे भारत माला परियोजना रोड पर किसानों की समस्याओं का हल कैसे होगा इसकी रूपरेखा की बात कोई नहीं करता। मिटती हुई भारत की संस्कृति की रक्षा कैसे होगी जिसके बल पर दुनिया में भारत की पहचान है ऐसे मुद्दों पर भी कोई एक शब्द बोलने वाला नहीं है।

जाति और नफरत को मिटाने के तौर तरीके कैसे बनेंगे समान शिक्षा लागू कैसे होगी तमाम ऐसे मुद्दे है जिस पर कोई एक शब्द भी नहीं बोलना चाहता।रोष और बदजुबानी पर भाषण एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप के दौर से गुजरा रहा यह उपचुनाव लोगों को क्या संदेश देगा इसकी चिंता किसी दल को नहीं है। कोई अपने बच्चों के लिए भाषण देकर वोट मांग रहा है तो कोई जंगल राज की याद दिला रहा है तो कोई राम मंदिर बनाने से क्या लाभ होगा इसकी व्याख्या कर रहा है यही नहीं नफरती  भाषण से लोगों में दूरियां बढ़ने का काम जारी है। अब विचार आम जनता को करना होगा क्या चिकने चुपड़े भाषण और मुहावरे से जनता का काम चलने वाला है या धरातल पर उनके काम दिखने चाहिए। जिनके बच्चे दूसरे राज्यों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं दूसरे राज्यों में नौकरी के लिए जाते हैं उनका क्या होगा और यह प्रथा कब बंद होगी और कैसे इस पैमाने को बताने की क्या जरूरत नही है क्या बिहार ऐसा नहीं हो सकता है या बिहार के नेताओं की इच्छा शक्ति ही मर चुकी है। गरीबों के 5 किलो राशन वृद्धा पेंशन गैस सिलेंडर की तो चर्चा होती है लेकिन गरीबी कैसे दूर होगी उसका खाका कोई नहीं बताता कि इसके लिए कौन सा प्लान बनेगा। आए दिन विदेशो में हो रहे हमले कश्मीर के विधानसभा में गैर कानूनी प्रस्ताव पारित होना इन सबों के ऊपर कोई भी एक शब्द बोलने को तैयार नहीं हैं। क्या भारत की अस्मिता और अखंडता से दूर रहकर एक राष्ट्र की कल्पना की जा सकती है क्योंकि जिस देश में कई धर्म और भाषा के लोग रहते हो। बातें लंबी बहस करने के लिए बहुत है लेकिन सोचने के लिए समय कम है इसलिए जनता अपने अधिकारो को पहचाने और साफ और स्वच्छ छवि वाले राजनेता की पहचान कर राष्ट्रीय मुद्दे पर अपना मतदान करें क्योंकि राष्ट्र सुरक्षित है तो आप भी सुरक्षित हैं राष्ट्र सुरक्षित नहीं रहेगा तो आप सुरक्षित नहीं रहेंगे।

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