ढाबे बने 'चुनावी अड्डा', रातभर चलता है अवैध कारोबार !

भिवंडी।  भिवंडी-नासिक और वंजार पट्टी नाका-पडघा रोड पर सैकड़ों अवैध ढाबे इन दिनों चुनावी अड्डों में तब्दील हो चुके हैं। रातभर खुले रहने वाले इन ढाबों पर सिर्फ चाय-पराठा नहीं, बल्कि चुनावी रणनीतियों, हुक्के के कश और बोटियों के साथ जमकर जश्न मनाया जा रहा है। खास बात यह है कि यह सब कुछ स्थानीय पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है, लेकिन कार्रवाई का नामोनिशान नहीं है। इन ढाबों पर हुक्के की महक और खटिया पर पसरे नेता और उनके समर्थक देर रात तक चुनावी गुफ्तगू में डूबे रहते है। ये ढाबे न केवल भोजनालय हैं, बल्कि देर रात तक चलने वाले अवैध गतिविधियों के अड्डे बन गए है। शराब, हुक्का, और मीट के साथ यहां राजनीतिक चर्चाएं और रणनीतियां बनती है जो भिवंडी के राजनीतिक माहौल को और गर्मा रही हैं। स्थानीय पुलिस की इस मुद्दे पर चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि इन अवैध ढाबों के संचालकों को पुलिस का संरक्षण प्राप्त है। भिवंडी-नासिक मार्ग और वंजार पट्टी नाका-पडघा रोड पर ये ढाबे खुलेआम देर रात तक संचालित होते है लेकिन पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की जाती। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इन ढाबों पर चल रही अवैध गतिविधियों के कारण इलाके का माहौल खराब हो रहा है। एक निवासी ने कहा, "हमारे बच्चों पर इन ढाबों का बुरा असर पड़ रहा है। पुलिस सब कुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठी है।" विशेष रूप से चुनाव के इस मौसम में, इन ढाबों की रौनक और बढ़ गई है। रातभर नेता और उनके समर्थक इन ढाबों पर दावत उड़ाते हैं। जनता का मानना है कि इन ढाबों का उपयोग न केवल चुनावी रणनीति बनाने के लिए किया जा रहा है, बल्कि अन्य संदिग्ध गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा है।

भिवंडी की जनता अब सवाल कर रही है कि पुलिस इन ढाबों पर कब कार्रवाई करेगी? क्या स्थानीय प्रशासन इन अवैध ढाबों को बंद कराने की हिम्मत जुटाएगा, या ये 'चुनावी अड्डे' ऐसे ही चलते रहेंगे? भिवंडी की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाती यह खबर प्रशासन और जनता दोनों के लिए एक चेतावनी है। अब देखना यह है कि इन अवैध ढाबों पर लगाम लगाने के लिए कौन कदम उठाएगा।

रिपोर्टर

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