सनातन पर टिप्पणी करने वाले, जातियों में बांटने वाले राजनेताओं को कुंभ मेला से लेना चाहिए सबक

दुर्गावती संवाददाता श्याम सुंदर पांडे 

दुर्गावती (कैमूर)- वैसे तो सनातन धर्म को सदियों से बांटने और मिटाने का  कुचक्र इस देश में चलता आ रहा है, जो आज भी आजाद भारत में राजनीतिक वर्गों के द्वारा बरकरार रखा गया है ।सनातन धर्म के ग्रन्थों पर उनके देवी देवताओं पर अभद्र टिप्पणियों का दौरा आज भी कुछ राजनेताओं के द्वारा जारी है। राजनेताओं को साधु महात्माओं के द्वारा सर्वे भवन्तु  सुखिनह का उद्घोष लगता है कानों में जहर घोल रहा है। आज कभी मनुवाद, कभी सामंतवाद तो कभी किसी देवता देवी को अपना वंशज बनाना उनके ऊपर टिप्पणी करना फैशन बन गया है। राजनीति की हद तो तब हो गई जब समाजवादी पार्टी के द्वारा धार्मिक स्थल कुंभ में मुलायम सिंह यादव की प्रतिमा लगा दी गई। कुंभ जैसे महान धर्म स्थल को भी समाजवादी राजनेताओं ने अपनी राजनीति से अछूता नहीं छोड़ा। आज जितने भी राजनेता धर्म के ऊपर टिप्पणी करने वाले हैं अपनी आंखें खोलकर देख ले कुंभ मेले में कहीं भी जात-पात या भेदभाव होता दिखाई दे रहा है। कुंभ मेले में धार्मिक स्थल हो, भोजनालय हो या स्नान के लिए बने घाट या शौचालय, कहीं भी किसी के लिए किसी तरह का कोई प्रतिबंध दिखाई नहीं दे रहा है, इससे बड़ा मिसाल इस देश में सनातन धर्म के मानने वाले और हिंदू समाज के लिए क्या हो सकता है।


यदि सभी एक है एक जगह खाना पीना स्नान करना या ट्रेन में यात्रा करना एक साथ में हैं तो ऐसे समाज को तोड़ने का प्रयास हमारे आजाद भारत में बांटने वाले और टिप्पणी करने वाले इन नेताओं के द्वारा क्यों किया जाता है। सनातन विश्व में भारत की एक पहचान है,यह मानवता की संस्कृति और विज्ञान की जननी है जिसे समझने के लिए आज कुंभ मेले में हर जाति और हर धर्म संप्रदाय के साधु महात्मा विश्व के कोने कोने से पधारे हुए हैं, जो अपनी साधना के माध्यम से सनातन के ज्ञान और विज्ञान को और धर्म को बारीकी से समझा है और अनुभव किया है। इसलिए आज से इन विषैली राजनीति से देश के राजनेताओं को कम से कम इस महाकुंभ से सीख लेकर बाहर निकल कर एक नए राष्ट्र के निर्माण का संकल्प लेना चाहिए और उसके ऊपर विचार करना चाहिए तभी देश की जनता और उसके ज्ञान विज्ञान पर आधारित ज्ञान जीवित रहेगा जिससे एक स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण होगा अन्यथा कुछ कहा जा नहीं सकता।ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले और सनातन धर्म को मिटाने वाले,देश को जातियों में बांटने वाले राजनेताओं को यदि राष्ट्र भक्त कहा जाए तो राष्ट्र द्रोही किसे कहा जाए और उसका पैमाना क्या होगा।




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