आईजीएम अस्पताल की हालत में सुधार। एक साल में 2.25 लाख से अधिक मरीजों ने लिया इलाज

भिवंडी। भिवंडी का स्व.इंदिरा गांधी स्मृति उप-जिला सरकारी अस्पताल (आईजीएम अस्पताल) शहर और ग्रामीण इलाकों के लाखों लोगों को मुफ्त सरकारी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने वाला एकमात्र अस्पताल है। पहले इस अस्पताल की हालत खराब थी, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें काफी सुधार हुआ है। यह अस्पताल पहले भिवंडी नगर पालिका के अधीन था, लेकिन आर्थिक बोझ उठाने में असमर्थ होने के कारण 2007 में इसे सरकार को सौंप दिया गया। हालांकि, लंबे समय तक यहां मरीजों को केवल प्राथमिक उपचार देकर ठाणे या मुंबई के बड़े अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता था। लेकिन अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रयास, सरकार से मिलने वाली आर्थिक सहायता और अस्पताल की अधीक्षिका डॉ. माधवी पंदारे के नेतृत्व में अस्पताल की स्थिति तेजी से सुधर रही है।

आईजीएम अस्पताल में वर्ष 2024 के दौरान 2,39,412 मरीजों ने बाह्यरुग्ण विभाग (ओपीडी) में अपना इलाज करवाया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 52,216 अधिक है। इसके अलावा, अस्पताल में 13,632 मरीज भर्ती किए गए, जिनमें से केवल 1,949 मरीजों को आगे के इलाज के लिए ठाणे और मुंबई भेजा गया। 100 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में डॉ. माधवी पंदारे के अधीक्षक पद पर नियुक्त होने के बाद व्यापक सुधार हुए हैं। कार्यालयी और चिकित्सीय सेवा में महिलाओं की संख्या बढ़ने से अस्पताल में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगी हैं। मरीजों को संतोषजनक उपचार देने के लिए अस्पताल प्रशासन लगातार प्रयासरत है।

उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाएं:

रक्त जांच – 1,23,383 मरीजों की जांच‌

ईसीजी – 4,251 मरीजों को सुविधा।

डायलिसिस – 910 मरीजों का इलाज।

सोनोग्राफी – 2,036 महिलाओं की जांच।

सिटी स्कैन – 2,688 मरीजों को सुविधा।

भिवंडी शहर और ग्रामीण इलाकों की गर्भवती महिलाएं प्रसव के लिए ठाणे या मुंबई जाने को मजबूर थीं, लेकिन अब आईजीएम अस्पताल में प्रसूति सेवाओं में भी सुधार हुआ है। वर्षभर में 3,424 महिलाओं की सफल डिलीवरी कराई गई, जिनमें से 418 मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ी। भिवंडी में कुत्तों के काटने (श्वान दंश) के मामले अधिक हैं। इस अस्पताल में वर्षभर में 11,211 नागरिकों का श्वान दंश का इलाज किया गया, वहीं 363 लोगों को सर्पदंश (सांप के काटने) और 128 नागरिकों को विंचू दंश (बिच्छू के काटने) से राहत मिली।

भिवंडी की कपड़ा नगरी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है, जिससे तालुका की जनसंख्या 15 लाख के करीब पहुंच गई है। इस बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बना रही है। हालांकि, अभी भी डॉक्टरों और स्टाफ की कमी के कारण मरीजों को कभी-कभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, लेकिन अस्पताल की लगातार सुधारती सेवाओं से नागरिक संतुष्ट नजर आ रहे हैं।इस सकारात्मक बदलाव के कारण कहा जा सकता है कि आईजीएम अस्पताल की स्थिति अब सुधर रही है, जो निश्चित रूप से एक संतोषजनक और उम्मीद जगाने वाला संकेत है।

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