सत्यगाथा

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लश्कर हूजी दंग पड़े ,सूख गयी है जान 

खुदा के वंदे खौफ में , मना रहे रमजान 

मना रहे रमजान , खान अहमद अंसारी 

इधर हिंद की फौज पड़ी है सबपर भारी 

कह बृजेश कविराय ,ढूंढती रहती मौका 

मिले जरा भी चांस जमा कर मारे चौका 

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