क्या लिखूं

क्या लिखूं कलम बतलायेगी , 

बस आज ये चलती जायेगी ! 

दिल के पन्ने पर पडा दर्द जो , 

उसको आज चुरायेगी !

व्यथा आँसूओ को मथ कर , 

फ़िर स्याही उसे बनायेगी ! 

हर शब्द कड़ी मानवता की , 

इबादत करती जायेगी ! 

क्या लिखूं कलम बतलायेगी 

बस आज ये चलती जायेगी !! 


देव ईश की बात लिखूं , 

क्या प्रिय का मै संग साथ लिखूं ?  

या झुलस रही बस्ती मे बैठे , 

मानव हित की बात लिखूं ! 

पशुता को करदे शर्मिन्दा , 

ऊन कृत्यों के साथ लिखूं ! 

भूखे बच्चो की सिसकी ले , 

व्यथित वेदना गायेगी ! 

क्या , , , , , , , , जायेगी !! 


प्रकृति की सुंदर छटा लिखूं , 

बतला मेघों की घटा लिखूं ! 

या भाई-भाई के झगडे मे , 

आँगन को मै बँटा लिखूं ! 

बन बैरी बाधक रोक रही , 

ऊन अरमानों को हटा लिखूं ! 

हर बुरे भ्रष्ट जीवन चरित्र का , 

कैसे राज़ छुपायेगी ! 

क्या लिखूं , , , , , , , जायेगी !! 


सिसकी है दम तोड़ रही , 

कोठे पर पहुँची कलियों की ! 

भ्रस्टाचारी से कराहती , 

संसद के उन गलियों की ! 

आतंकवाद के फसलों मे , 

लहराते बम के फलियों की ! 

सुंदर मुख कलुषित चरित्र की , 

गाथा किसे सुनायेंगी ! 

क्या लिखूं , , , , , जायेगी !! 


तोतली जुबां नटखट चरित्र , 

ऊस बचपन की मै बात लिखूं ! 

नोटो के पीछे बन मशीन , 

जागे यौवन दिन रात लिखूं ! 

प्रौढ़ावस्था मे मनुष्य , 

पा रहा मौत से मात लिखूं ! 

भरे झुर्रियॉं वाले तन से , 

आह एक बस आयेगी ! 

क्या लिखूं , , , , , , जायेगी !! 


मंदिर मे बसे महन्तो की , 

मुल्ला मौला और संतों की ! 

चर्च मे बैठे फादर की , 

क्या बात करूँ मै आदर की ! 

चिथडो मे लिपटी काया है , 

चढ़ी चादर नयी मजारो की ! 

धर्मस्थल के कुकर्मों का , 

फल प्रकृति भी जतलायेगी ! 

क्या लिखूं , , , , , , जायेगी !! 


गुरुदेव आप की शान लिखूं , 

या दुबे का अभिमान लिखूं ! 

कवियों की हे मात शारदे , 

जय तेरी हो सम्मान लिखूं ! 

वक्रतुन्ड हे लम्बउदर दे बुद्धि , 

सत्य अरमान लिखूं ! 

ह्रदय वेदना काव्य मे रच 

वाणी बृजेश की गायेगी ! 

क्या लिखूं , , , , , जायेगी !! 

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