
क्या लिखूं
- Hindi Samaachar
- Jun 14, 2018
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क्या लिखूं कलम बतलायेगी ,
बस आज ये चलती जायेगी !
दिल के पन्ने पर पडा दर्द जो ,
उसको आज चुरायेगी !
व्यथा आँसूओ को मथ कर ,
फ़िर स्याही उसे बनायेगी !
हर शब्द कड़ी मानवता की ,
इबादत करती जायेगी !
क्या लिखूं कलम बतलायेगी
बस आज ये चलती जायेगी !!
देव ईश की बात लिखूं ,
क्या प्रिय का मै संग साथ लिखूं ?
या झुलस रही बस्ती मे बैठे ,
मानव हित की बात लिखूं !
पशुता को करदे शर्मिन्दा ,
ऊन कृत्यों के साथ लिखूं !
भूखे बच्चो की सिसकी ले ,
व्यथित वेदना गायेगी !
क्या , , , , , , , , जायेगी !!
प्रकृति की सुंदर छटा लिखूं ,
बतला मेघों की घटा लिखूं !
या भाई-भाई के झगडे मे ,
आँगन को मै बँटा लिखूं !
बन बैरी बाधक रोक रही ,
ऊन अरमानों को हटा लिखूं !
हर बुरे भ्रष्ट जीवन चरित्र का ,
कैसे राज़ छुपायेगी !
क्या लिखूं , , , , , , , जायेगी !!
सिसकी है दम तोड़ रही ,
कोठे पर पहुँची कलियों की !
भ्रस्टाचारी से कराहती ,
संसद के उन गलियों की !
आतंकवाद के फसलों मे ,
लहराते बम के फलियों की !
सुंदर मुख कलुषित चरित्र की ,
गाथा किसे सुनायेंगी !
क्या लिखूं , , , , , जायेगी !!
तोतली जुबां नटखट चरित्र ,
ऊस बचपन की मै बात लिखूं !
नोटो के पीछे बन मशीन ,
जागे यौवन दिन रात लिखूं !
प्रौढ़ावस्था मे मनुष्य ,
पा रहा मौत से मात लिखूं !
भरे झुर्रियॉं वाले तन से ,
आह एक बस आयेगी !
क्या लिखूं , , , , , , जायेगी !!
मंदिर मे बसे महन्तो की ,
मुल्ला मौला और संतों की !
चर्च मे बैठे फादर की ,
क्या बात करूँ मै आदर की !
चिथडो मे लिपटी काया है ,
चढ़ी चादर नयी मजारो की !
धर्मस्थल के कुकर्मों का ,
फल प्रकृति भी जतलायेगी !
क्या लिखूं , , , , , , जायेगी !!
गुरुदेव आप की शान लिखूं ,
या दुबे का अभिमान लिखूं !
कवियों की हे मात शारदे ,
जय तेरी हो सम्मान लिखूं !
वक्रतुन्ड हे लम्बउदर दे बुद्धि ,
सत्य अरमान लिखूं !
ह्रदय वेदना काव्य मे रच
वाणी बृजेश की गायेगी !
क्या लिखूं , , , , , जायेगी !!
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