सत्यगाथा



माता धरती से बड़ी पिता गगन की छांव 

पिता  देवता  से  बड़े , पूजनीय  है  पांव 

पूजनीय  है  पांव , चरण  में चार धाम है 

चार पदारथ धरम अर्थ औ मोक्ष काम है 

कह बृजेश कविराय पिता है जीवन दाता 

दिया जगत में नाम स्वयं है पिता विधाता 

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