दर्शकों में जोश नही भर पाया भावेश जोशी फिल्म
- एबी न्यूज, संवाददाता
- Jul 03, 2018
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जुबानी खर्च करना आसान है। जमीन पर उतरकर काम करना कठिन। यही वजह है कि भ्रष्टाचार देश में खत्म नहीं होता। नेताओं की सत्ता पर पकड़ लगातार मजबूत होती है और आम आदमी की आवाज निरंतर कमजोर होती जाती है। लोग भी सुधरने का नाम नहीं लेते। अनुशासन उनके जीवन में नहीं आता। नतीजा यह कि उनकी कमजोरियों का फायदा उठाया जाता है। मगर इन हालात में भी कोई लड़ने के लिए खड़ा होता है और निर्देशक विक्रमादित्य मोटवानी की फिल्म में उसका नाम है, भावेश जोशी। जिसके इरादे सुपरहीरो जैसे होते हैं। सवाल यह कि जब लोग अपने हक की लड़ाई में उतरना और परिस्थितियों को बदलना नहीं चाहते तो क्या उन्हें सुपरहीरो की जरूरत है?
फिल्म सवाल तो कई उठाती है और उनके फिल्मी तथा कॉमिक बुक्सनुमा हल भी देती है परंतु बांधती नहीं। इसमें कसावट नहीं है और लंबाई (153 मिनिट) अधिक है। यह एक डार्क फिल्म के रूप में सामने आती है। मुंबई के तीन दोस्तों को आज के हालात परेशान करते हैं और वे अपने स्तर पर उनसे निपटने की सोचते है। यू-ट्यूब पर इंसाफ टीवी चैनल बना कर वे प्रशासन और सत्ता से टकराते भी हैं।
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