सत्यगाथा

रहिमन पानी राखिये ,बिन पानी सब सून 

इधर  जुलाई आ गयी , गुजर गया है जून 

गुजर  गया  है  जून , याद  आती है नानी 

नजर जिधर भी जाती दिखता पानी पानी 

कह  बृजेश कविराय , लोग बेहाल हुये है 

गली  नगर  बाजार , तलैया  ताल  हुये है 

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